Edited By Prachi Sharma,Updated: 08 May, 2024 10:47 AM
महान वैदिक विद्वान श्रीपाद दामोदर सातवलेकर एक कुशल चित्रकार भी थे। युवावस्था में अपनी तूलिका से वह बड़े-बड़े धनपतियों तथा अन्य लोगों के चित्र बनाते थे तथा इस कला से प्राप्त
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Shripad Damodar Satwalekar Story: महान वैदिक विद्वान श्रीपाद दामोदर सातवलेकर एक कुशल चित्रकार भी थे। युवावस्था में अपनी तूलिका से वह बड़े-बड़े धनपतियों तथा अन्य लोगों के चित्र बनाते थे तथा इस कला से प्राप्त धन से अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। उन दिनों देश गुलाम था।
एक दिन सातवलेकर के मन में ख्याल आया कि अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के लिए उन्हें वेद-ज्ञान के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना जागृत करने में योगदान करना चाहिए। उसी दिन से उन्होंने चित्र बनाने बंद कर दिए और अपना अधिकतर समय वेदों के प्रचार-प्रसार में लगाना शुरू कर दिया। वह लोगों को इकट्ठा कर उन्हें वेद-ज्ञान के साथ-साथ देश को आजाद कराने के लिए एकता का पाठ पढ़ाने लगे। अनेक लोग उनके साथ हो गए और सभी स्वतंत्रता के स्वप्न देखने लगे। लेकिन इससे उनके परिवार के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया।
एक दिन एक व्यक्ति उनके परिवार पर आर्थिक संकट की बात सुनकर उनके पास आया तथा एक हजार रुपए सामने रखकर कहा, पंडित जी, आप हमारे अमुक नगर के रायबहादुर जी का चित्र बना दीजिए। इस काम के लिए आप फिलहाल एक हजार रुपए रखिए, शेष एक हजार की राशि आपको चित्र लेते समय भेंट कर दी जाएगी।
व्यक्ति की बात सुनकर सातवलेकर बोले, अंग्रेजों से रायबहादुर की उपाधि प्राप्त किसी अंग्रेज परस्त व्यक्ति का चित्र बनाकर उससे मिले अपवित्र धन को मैं स्पर्श भी नहीं कर सकता। आप इन रुपयों को उठाइए और यहां से चले जाइए। वह व्यक्ति आर्थिक संकट में भी पंडित जी के स्वाभिमान को देखकर आश्चर्यचकित रह गया।