Google का Doodle: जानें दुनिया की 'पहली महिला इंजिनियर' एलाइसा की खास बातें

Edited By Sonia Goswami,Updated: 10 Nov, 2018 10:34 AM

google doodle celebrates elisa leonida zamfirescu s 131st birth anniversary

गूगल ने अपना डूडल एलाइसा लेओनिडा जमफिरेसको को समर्पित किया है। वह दुनिया की पहली महिला इंजिनियरों में से एक थीं। जमफिरेसको जनरल असोसिएशन ऑफ रोमानियन इंजिनियर्स (एजीआईआर) की पहली महिला सदस्य थीं और जिअलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ रोमानिया के कई प्रयोगशालाओं...

नई दिल्लीः गूगल ने अपना डूडल एलाइसा लेओनिडा जमफिरेसको को समर्पित किया है। वह दुनिया की पहली महिला इंजिनियरों में से एक थीं। जमफिरेसको जनरल असोसिएशन ऑफ रोमानियन इंजिनियर्स (एजीआईआर) की पहली महिला सदस्य थीं और जिअलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ रोमानिया के कई प्रयोगशालाओं का नेतृत्व किया। उनका जन्म 10 नवंबर, 1887 को हुआ था। उन्होंने रोमानिया के प्राकृतिक संसाधनों का अध्ययन किया और पुरुषों के वर्चस्व वाले मैदान में अपना मुकाम बनाया। 

एलाइसा को उच्च शिक्षा हासिल करने और करियर में अपना मुकाम बनाने के लिए काफी बाधाओं को पार करना पड़ा। रोमानिया के गलाटी शहर में पैदा हुईं एलाइसा बुचारेस्ट स्थित सेंट्रल स्कूल ऑफ गर्ल्स से अच्छे नंबरों के साथ हाई स्कूल की परीक्षा पास की थीं। लेकिन जब उन्होंने स्कूल ऑफ हाइवेज ऐंड ब्रिजेज, बुचारेस्ट में हायर स्टडीज के लिए आवेदन किया तो लिंग के आधार पर उनका आवेदन रद्द कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने किसी और संस्थान में दाखिला लेने का फैसला किया। उन्होंने जर्मनी के रॉयल टेक्निकल अकैडमी में आवेदन किया जिसे 1909 में मंजूर कर लिया गया। वहां भी उनको काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार संस्थान के प्रमुख ने उनसे कहा, 'बेहतर होता कि आप चर्च, बच्चे और रसोई पर फोकस करतीं।' 

तीन साल बाद यानी 1912 में उन्होंने इंजिनियरिंग में ग्रैजुएशन कर लिया और यूरोप की पहली महिला इंजिनियरों में से एक बन गईं। ग्रैजुएशन के बाद उन्होंने बुचारेस्ट स्थित जिअलॉजिकल इंस्टिट्यूट जॉइन किया जहां उन्होंने प्रयोगशाला का नेतृत्व किया। पहले विश्व युद्ध के दौरान उनकी मुलाकात कॉन्सटैंटिन जमिफरसको से हुई और यह मुलाकात प्यार में बदल गई। बाद में दोनों ने शादी कर ली और उनको दो बेटियां हुईं। 

उन्होंने पीटर मॉस स्कूल ऑफ गर्ल्स के साथ-साथ स्कूल ऑफ इलेक्ट्रिशंस और मकैनिक्स, बुचारेस्ट में फिजिक्स और केमिस्ट्री भी पढ़ाई। अपने लैब के प्रमुख के तौर पर उन्होंने मिनरल्स और अन्य चीजों के अध्ययन के लिए नए तरीके एवं तकनीक का सहारा लिया। उनको ऐसे समर्पित इंजिनियर के तौर पर जाना जाता है जो सुबह से लेकर शाम तक काम करती थीं। 
 

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