जज्बाःजानें उम्‍मुल खेर के आईएएस बनने के सफर के बारे में

Edited By Sonia Goswami,Updated: 28 Jan, 2019 02:14 PM

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आईएएस उम्‍मुल खेर उन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो संसाधन न होने का रोना रोते हैं। गरीबी, हड्ड‍ियों की बीमारी, फ्रैंक्‍चर और ऑपरेशन झेलकर भी उम्‍मुल आईएएस बनी हैं। जिंदगी में परेशानियां किसी के साथ बचपन से ही जु़ड़ी होती हैं।

एजुकेशन डेस्क: आईएएस उम्‍मुल खेर उन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो संसाधन न होने का रोना रोते हैं। गरीबी, हड्ड‍ियों की बीमारी, फ्रैंक्‍चर और ऑपरेशन झेलकर भी उम्‍मुल आईएएस बनी हैं। जिंदगी में परेशानियां किसी के साथ बचपन से ही जु़ड़ी होती हैं। राजस्थान के पाली की रहने वाली उम्मुल खेर ने अपनी जिंदगी को ऐसे ही देखा। कभी पढ़ने के लिए तो कभी अपने जीवन को बचाए रखने के लिए। मूंगफली बेचने वाले पिता की बेटी और हड्डी रोग से ग्रस्त उम्मुल कभी झुग्गियों में तो कभी सड़क पर रहीं। इतना ही नहीं मां के मरने के बाद सौतली मां के जुल्म और आठवीं के बाद पढ़ाई न करने के फैसले ने उन्हें घर से अलग रहने पर मजबूर कर दिया। उनके लिए जीवन में पढ़ना और खुद के पैरों पर खड़े होने के आगे जीवन में कुछ नहीं चाहिए था।

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2016 में पहले प्रयास में ही यूपीएससी में 420वां रैक पाने वाली उम्मुल 28 साल की उम्र में 16 बार फ्रैक्चर और 8 बार ऑपरेशन झेल चुकी हैं। 2012 में हुए एक्सीडेंट में वह ऐसी घायल हुईं की व्हीलचेयर पर आ गईं। वह इससे घबराई नहीं बल्कि अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रहीं। उम्मुल का बचपन संघर्ष से भरा था। 2001 में झुग्गियों के टूटने के बाद उनका परिवार त्रिलोकपुरी में आ गया। सौतेली मां का व्यवहार अच्छा नहीं था तो वह घर छोड़ कर किराए के मकान में रहने लगीं। और अपना खर्च निकालने के लिए ट्यूशन पढ़ाने लगीं। इसके लिए उन्हें 50 रुपए मिलते थे।

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2008 में अर्वाचीन स्कूल से 12वीं पास करने के बाद 2011 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन करना शुरू किया। जेएनयू से एमए की पढ़ाई के दौरान उन्हें मेरिट-कम-मीन्स स्कॉलरशिप के तहत 2000 रुपए महीना मिलने लग गया और हॉस्टल में रहने की जगह भी। इसके बाद उम्मुल ने इंटरनेशनल रिलेशन में मास्टर्स डिग्री के लिए जेएनयू में अप्लाई किया।

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इसी बीच 2012 में उनका एक्सीडेंट हुआ और वे हास्पिटलाइज होना पड़ा और इसके कारण उनका ट्यूशन छूट गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और जेएनयू के इंटरनेशनल स्टडीज स्कूल से पहले एमए किया और फिर इसी यूनिवर्सिटी में एमफिल/पीएचडी कोर्स में एडमिशन ले लिया। 2013 में उम्मुल जेआरएफ क्रैक किया  जिसके बाद उन्हें 25,000 रुपए प्रति महीना मिलने लगा। यहीं से एमफिल के बाद वो पीएचडी करने लगीं और इसी दौरान उन्होंने आईएएस भी क्रैक किया। उम्मुल ने अब तक 16 फ्रैक्चर हो चुके हैं और 8 बार उनकी सर्जरी हो चुकी है। बावजूद वह हार नहीं मानती और खुद को साबित कर दिया कि जूनुन के आगे ही जिंदगी है।

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