Updated: 04 Oct, 2025 12:47 PM

भूमि पेडनेकर ने बताया कि जब वह एक्ट्रेस बनने का सपना देखती थीं, तो उन्हें परदे पर अपनी तरह की महिलाएं नहीं दिखती थीं।
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। मिलकन इंस्टीट्यूट के 12वें एशिया समिट में दुनिया भर के बड़े लीडरों के बीच, भारतीय अभिनेत्री और जलवायु अधिवक्ता भूमि सतीश पेडनेकर ने अपनी निजी कहानी, हिम्मत और ज़िम्मेदारी की बात से सबको प्रभावित किया।
भूमि पेडनेकर ने बताया कि जब वह एक्ट्रेस बनने का सपना देखती थीं, तो उन्हें परदे पर अपनी तरह की महिलाएं नहीं दिखती थीं। उन्होंने दर्शकों को अपना कोट बताया और कहा मुझे हमेशा से पता था कि मैं एक एक्टर बनना चाहती हूं, लेकिन बड़े होते हुए मुझे परदे पर अपने जैसी लड़कियां नहीं दिखीं। मुझे लगा ही नहीं कि मैं Represent हो रही हूं और जब भी मैंने लोगों को अपने सपने के बारे में बताया, तो वे मुझ पर हंसे। उस रिजेक्शन ने मुझे और ज़्यादा फ़्यूल किया- मैंने सोचा, मैं तुम्हें दिखाऊंगी।
भूमि ने कहा कि उनकी पहली फ़िल्म 'दम लगा के हईशा' ने उन्हें सिनेमा की असली ताकत दिखाई। उन्होंने कहा कि भारत में कई सामाजिक टैबू हैं, जिन पर लोग बात नहीं करते, लेकिन सिनेमा लोगों के दिल खोलता है और हमदर्दी पैदा करता है। जब यह हमदर्दी एक्शन में बदल जाती है, तो वह एडवोकेसी बन जाती है।
वह अपनी स्टारडम का इस्तेमाल बॉडी पॉज़िटिविटी से लेकर जलवायु न्याय तक के लिए कर रही हैं। समिट में उनकी बात ने यह दिखाया कि विकासशील देशों की महिलाएं अपनी कल्चरल इन्फ्लूएंस और पक्के इरादे के दम पर किस तरह बदलाव ला सकती हैं। मुझे आशा है कि अब यह आपके हिसाब से सही और सटीक है।