आधुनिक युग के लिए पौराणिक कथा का एनिमेटेड पुनर्जन्म- निर्देशक अश्विन कुमार

Updated: 22 Jul, 2025 01:00 PM

exclusive interview of ashwin kumar with punjab kesari

फिल्म के निर्देशक अश्विन कुमार ने इस प्रोजेक्ट के पीछे की सोच, तकनीकी मेहनत और धार्मिक मूल्यों को लेकर पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। निर्देशक अश्विन कुमार की अगली पेशकश ‘महा अवतार नरसिम्हा’ 25 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। यह फिल्म विष्णु के नरसिंह अवतार पर आधारित एक एनिमेटेड पौराणिक कथा है, जिसे आज की पीढ़ी को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कहानी को एक आधुनिक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया गया है। फिल्म के निर्देशक अश्विन कुमार ने इस प्रोजेक्ट के पीछे की सोच, तकनीकी मेहनत और धार्मिक मूल्यों को लेकर पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...

सवाल- सबसे पहले ये बताइए, इस फिल्म को बनाने का ख्याल आपको कब और कैसे आया?
जवाब-
ये विचार मुझे भक्ति में डूबे हुए कुछ भक्तों के साथ बातचीत के दौरान आया। मुझे लगा कि यह कहानी आज के दौर में बेहद ज़रूरी है। आजकल लोग शास्त्र पढ़ते नहीं, संतों को सुनते नहीं और घर-घर में ऐसा माहौल भी नहीं रहा। हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जहां चिंता, अवसाद और असुरक्षा बढ़ती जा रही है। इसलिए जरूरी है कि हम अपने आदर्श और मूल्यों को फिर से पहचानें। मैंने सोचा कि अगर इन कहानियों को बड़े परदे पर लाया जाए तो लोग इसे मनोरंजन के साथ आत्मिक रूप से भी जोड़ पाएंगे। यही सोच महा अवतार नृसिंह के पीछे रही।

सवाल- आज के समय में जहां परिवार छोटे हो गए हैं और सब अपना कंटेंट खुद अपने कमरे में देखते हैं तो आप उन्हें कैसे एक साथ लाएंगे?
जवाब-
भले ही हर कोई अलग-अलग कमरे में अलग-अलग कंटेंट देख रहा है, पर हर किसी को एक बात चाहिए वो है एक अच्छी कहानी। पहले नुक्कड़ नाटक और मंदिरों की आकृतियां हमारी कहानियों के माध्यम थे। अब मीडियम बदला है, पर संदेश वही हैं। हमने एनिमेशन को मीडियम इसलिए चुना ताकि बच्चा, बड़ा या बुजुर्ग – सभी इससे जुड़ सकें। भारत में अभी भी यह धारणा है कि एनिमेशन मतलब कार्टून, लेकिन ऐसा नहीं है। हमने फिल्म में दिव्यता और आस्था को पूरी श्रद्धा के साथ प्रस्तुत किया है ताकि किसी की धार्मिक भावना को ठेस न पहुंचे। हमारा मकसद था उच्च स्तरीय दृश्य अनुभव देना।

सवाल- फिल्म के एनिमेशन और VFX अंतरराष्ट्रीय स्तर के दिखते हैं, इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब-
 धन्यवाद। यह हमारी टीम की मेहनत और विश्वास का नतीजा है। हमारे पास बड़े स्टूडियोज जैसी सुविधाएं नहीं थीं, लेकिन हमारी टीम ने दिल से काम किया। लगभग साढ़े चार साल लगे इस फिल्म को बनाने में। सिर्फ़ 2% टीम थी जो बड़े प्रोडक्शन हाउस की तुलना में बहुत छोटी है, लेकिन सभी ने 100% समर्पण दिखाया। आज भी टीम लगातार जुड़ी हुई है ताकि दर्शकों को सर्वश्रेष्ठ अनुभव मिल सके।

सवाल- क्या इस फिल्म को वैसे ही बनाया गया जैसा हम बचपन से सुनते थे या कुछ सिनेमैटिक चेंज हैं?
जवाब-
हमने इस फिल्म में सिनेमैटिक का टच बहुत कम देने की कोशिश की है। हमने कथा को शास्त्रों के अनुसार ही रखा है। केवल कुछ जगहों पर सिनेमाई प्रस्तुति के लिए छोटे-मोटे बदलाव किए हैं, जैसे प्रह्लाद महाराज को फिल्म में एक बार गुरुकुल जाते दिखाया गया है, जबकि शास्त्रों में यह दो बार होता है। बाकी पूरी कथा शास्त्रों के अनुरूप है। हम चाहते थे कि कथा की आत्मा बरकरार रहे।

सवाल- ये कहानी धर्म, इतिहास और कल्पना का संगम है। कलियुग में खासकर ये कहानी क्यों जरूरी है?
जवाब- 
क्योंकि यह कहानी हमें बताती है कि धर्म हमेशा हमारी रक्षा करता है। यह सिर्फ़ एक पुरानी कथा नहीं है, बल्कि आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। आज भी हमारे आसपास ‘हिरण्यकशिप’ जैसे लोग हैं, जो अपने अहंकार और क्रोध में अंधे हैं, लेकिन ‘प्रह्लाद’ भी हैं, जो अपनी भक्ति में अडिग हैं। जब किसी को अपनी भक्ति का बोध हो जाता है, तो नृसिंह भगवान स्वयं उसकी रक्षा करने आते हैं।

सवाल- आपने इस फिल्म में आज के समय की समस्याओं को किस तरह शामिल किया है?
जवाब- 
हमारी कोशिश रही कि कथा आज के दर्शकों से कनेक्ट हो। जैसे फिल्म में प्रह्लाद महाराज एक 5 साल का बच्चा है जो असुरों से घिरा हुआ है। आज के दौर में भी बच्चे ‘बुलिंग’ का सामना करते हैं। प्रह्लाद अपनी भक्ति और सिद्धांतों के लिए खड़ा होता है, जैसे आज के बच्चे भी अपनी पहचान और मूल्यों के लिए संघर्ष करते हैं। ऐसे कई दृश्य हैं जो दर्शक अपनी ज़िंदगी से जोड़ेंगे।

सवाल- क्या इस फिल्म से कोई बड़ा संदेश देना चाहते हैं?
जवाब-
हां, ये फिल्म यह दिखाती है कि धर्म सनातन है। समस्याएं चाहे किसी भी युग की हों, समाधान धर्म में ही है। यह पिता-पुत्र के विचारों के टकराव की कहानी है, जो आज भी प्रासंगिक है। अंततः धर्म ही हमारी रक्षा करता है। हर किसी के लिए उनके धर्म कुछ भी हो सकता है किसी के लिए उसका काम धर्म होता है। 

सवाल- अपने अगले प्रोजेक्ट्स के बारे में कुछ बताइए?
जवाब-
महा अवतार नृसिम्हा के बाद हमारा प्लान है महा अवतार परशुराम, महा अवतार रघुनंदन (रामायण), श्रीकृष्ण पर आधारित दो फिल्में (द्वारकाधीश और गोकुलानंद) और आगे चलकर महा अवतार कल्कि। इसके अलावा हम कुछ लाइव-एक्शन फिल्में भी बनाएंगे। हमारा उद्देश्य है कि भारतीय संस्कृति पर गर्व महसूस करने वाली कहानियां पेश की जाएं।

 

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