Edited By Sarita Thapa,Updated: 15 Dec, 2025 11:13 AM

वर्ष 2025 भारतीय आस्था और संस्कृति के नाम रहा और इसका सबसे बड़ा प्रमाण है गूगल की सालाना सर्च रिपोर्ट 'ईयर इन सर्च 2025'।
Mahakumbh 2025 Online Search Trends : वर्ष 2025 भारतीय आस्था और संस्कृति के नाम रहा और इसका सबसे बड़ा प्रमाण है गूगल की सालाना सर्च रिपोर्ट 'ईयर इन सर्च 2025'। इस रिपोर्ट ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं कि इस साल भारतीयों की यात्रा और ज्ञान की खोज का केंद्र न तो समुद्री तट रहे, न ही बर्फीली चोटियां बल्कि यह सम्मान प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ को मिला है।
सर्च ट्रेंड्स पर आध्यात्मिक सफर का कब्ज़ा
गूगल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 'महाकुंभ मेला 2025' भारत में सबसे ज्यादा ट्रेंडिंग ट्रैवल डेस्टिनेशन सर्च की सूची में शीर्ष पर रहा। आमतौर पर पर्यटन सूची में गोवा, कश्मीर या राजस्थान जैसे लोकप्रिय स्थान आगे रहते हैं। लेकिन 2025 में महाकुंभ ने इन सभी को पीछे छोड़ दिया, यह दर्शाता है कि भारतीय अब आधुनिकता के साथ-साथ अपनी आध्यात्मिक जड़ों की ओर भी मजबूती से लौट रहे हैं। महाकुंभ सिर्फ ट्रैवल कैटेगरी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पूरे साल की टॉप ट्रेंडिंग न्यूज़ सर्च में भी शामिल रहा। इससे पता चलता है कि यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक समागम नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय और वैश्विक चर्चा का विषय बन गया था।
ग्लोबल लेवल पर भी बढ़ा आकर्षण
महाकुंभ 2025 की गूंज सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि इसने वैश्विक पटल पर भी अपनी छाप छोड़ी। रिपोर्टों के अनुसार, विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी भारी उछाल देखने को मिला और महाकुंभ से संबंधित सर्च खाड़ी देशों सहित कई मुस्लिम बहुल देशों में भी टॉप ट्रेंड में शामिल रहे। इससे यह साबित होता है कि यह आयोजन अब सीमाओं से परे, एक मानवतावादी और सांस्कृतिक नवाचार के केंद्र के रूप में देखा जा रहा है।
महाकुंभ 2025 की सफलता का एक कारण इसका आधुनिक तकनीक से जुड़ना भी रहा। एआई-आधारित भीड़ नियंत्रण, ऑनलाइन मैप्स और गूगल द्वारा खुद स्क्रीन पर 'पंखुड़ियों की वर्षा' जैसा खास फीचर देना, इस इवेंट को डिजिटली दुनिया के कोने-कोने तक ले गया।
आस्था का सबसे बड़ा संगम
प्रयागराज में संगम तट पर करोड़ों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई और यह दुनिया का सबसे बड़ा आस्था का जमावड़ा साबित हुआ। गूगल सर्च ट्रेंड्स ने इस बात की मुहर लगा दी है कि महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, तकनीक और अध्यात्म के सबसे शक्तिशाली ब्रांड के रूप में उभरा, जिसने पूरे वर्ष लोगों की जिज्ञासा और आस्था के केंद्र को प्रयागराज पर स्थिर रखा।
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