दोस्ती, परिवार और सोशल मीडिया की दुनिया पर आधारित है फिल्म ‘खो गए हम कहां’

Updated: 23 Dec, 2023 09:42 AM

kho gaye hum kahan is based on the world of friendship family social media

नेटफ्लिक्स की फिल्म को लेकर अनन्या पांडे, आदर्श गौरव और सिद्धांत चतुर्वेदी ने पंजाब केसरी ग्रुप के साथ की खास बातचीत

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सोशल मीडिया की दुनिया कहीं न कहीं हम सभी की जिंदगी को प्रभावित करती है। दोस्ती, परिवार और सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स और लाइक्स के चक्कर काटती फिल्म ‘खो गए हम कहां’ इस दौर पर बनी एक ऐसी फिल्म है, जिसमें इन सभी की अहमियत को बखूबी पेश किया गया है। आदर्श गौरव के साथ अनन्या पांडे और सिद्धांत चतुर्वेदी फिल्म में अहम भूमिका में नजर आएंगे। नेटफ्लिक्स पर 26 दिसम्बर को रिलीज होने वाली इस फिल्म का निर्देशन अर्जुन वरैन सिंह ने किया है। ऐसे में ‘खो गए हम कहां’ के बारे में स्टारकास्ट ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/ जगबानी/ हिन्द समाचार से खास बातचीत की और फिल्म की दिलचस्प बातें साझा की हैं...

मेरी नानी मेरे हर पोस्ट पर कमेंट करती हैं : अनन्या पांडे

Q. सोशल मीडिया की दुनिया के बारे में आपको क्या चीज सच और क्या फेक लगती है?
A - इस दुनिया में जो मुझे फेक लगता है वो ये है कि लोग इस पर सिर्फ खुशियां पोस्ट करते हैं लेकिन अगर उनकी लाइफ में कुछ बुरा हो रहा है या उनका दिन खराब जा रहा है तो वह कभी इसे इंस्टाग्राम पर या सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करते हैं। इस प्लेटफॉर्म की अच्छी बात ये है कि इसने आपस में सभी को जोड़ दिया है। अब मेरे दोस्त कहीं भी हैं, अगर उन्होंने मुझे कोई मीम भेजा और मैंने उसका रिप्लाई किया तो लगता है कि हम आपस में कहीं न कहीं कॉन्टैक्ट में तो हैं। रिश्तेदारों को भी पता रहता है कि आप कहां हैं। मेरी नानी मेरे हर पोस्ट पर कमेंट करती हैं।

Q. एक्टिंग के अलावा आपको कौन-सा प्रोफैशन पसंद है?
A- वैसे तो मुझे  एक्टिंग पसंद है लेकिन मैं एक्ट्रेस नहीं होती तो प्री स्कूल टीचर बनती। मुझे बच्चे बहुत पसंद है। मुझे नहीं पता कि मैं बच्चों को क्या सिखाती लेकिन मुझे वो बेहद पसंद है, तो मैं इसी प्रोफेशन में जाती।

Q. जब ‘खो गए हम कहां’ के लिए कॉल आया तो आपका रिएक्शन कैसा था?
A - मुझे कोई कॉल नहीं आया बल्कि मैंने इसके लिए प्रॉपर ऑडिशन स्टेज किया था। मुझे फिल्म के बारे में पता था और मैं हमेशा से इसका हिस्सा बनना चाहती थी। जब मैं और सिद्धांत गोवा में ‘गहराइयां’ की शूटिंग कर रहे थे, तब हमारे निर्देशक अर्जुन वरैन सिंह गोवा आए थे, सिड को इसकी स्क्रिप्ट सुनाने के लिए। तब मैंने सुन लिया था कैरेक्टर एक टॉमबॉय लडक़ी है, तो मैंने जल्दी से अपने कमरे में जाकर कुछ ऐसे ही कपड़े पहने और ऑडिशन दे दिया। बाद में अर्जुन ने मेरा वो साइड देखकर कहा कि ये मेरे किरदार अहाना से काफी मिलती-जुलती है। इसके बाद मुझे ये फिल्म मिल गई।

एक्टिंग से पहले मेरे बहुत सारे छोटे-छोटे पैशन थे - सिद्धांत चतुर्वेदी

Q. अगर  एक्टिंग नहीं तो आप किस प्रोफेशन में जाते?
A- मैंने एक्टिंग से पहले इतनी सारी चीजें कर ली थीं कि अब मुझे यही करना है। मेरे बहुत सारे छोटे-छोटे पैशन थे, मैं क्रिकेट खेलता था। बाद में फुटबॉल टीम ज्वाइन कर ली। फिर सी.ए. की तैयारी करने लगा और बहुत पढ़ाई की। इसके साथ ही मैं लिखता भी था। इसके बाद मुझे लगा कि मुझे कोई ऐसी चीज चुननी होगी, जिससे मुझे प्यार हो और वो थी एक्ंिटग लेकिन ऐसा नहीं है कि बीते समय मैंने जो कुछ किया वो मेरे अब किसी काम का नहीं है, अभी भी ये सारी चीजें मेरी बहुत हेल्प करती हैं।

Q. आप और अनन्या तो पहले भी काम कर चुके हैं, लेकिन पहली बार आदर्श के साथ काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा?
A- मेरी और अनन्या की बॉन्डिंग तो पहले से थी ही लेकिन मुझे लगता है कि आदर्श के आने से सारी चीजें पूरी हो गई। अक्सर आपने देखा होगा कि दोस्त हमेशा तीन होते हैं, जो चीजें दो में बैलेंस नहीं हो पाती, वो तीन में पता नहीं कैसे हो जाती हैं। आदर्श के आने से हमारी बॉन्डिंग और ज्यादा स्ट्रांग हो गई है। अगर मैं आदर्श को ज्यादा चिढ़ा रहा होता हूं तो अनन्या डिफेंस मोड में आ जाएगी। मैं हमेशा उसे खुद भी परेशान करता रहता हूं। आपको बता दूं कि फिल्म की शुरुआत का जो गाना है ‘होने दो जो होता है’ वो अनन्या ने ही शूट किया है।

Q. ऐसा कहा जाता है कि कॉमेडी हमेशा गहरे दर्द से होकर आती है, इस बारे में आपका क्या कहना है?
A- सच कहूं तो इसलिए मैं अपनी लाइफ में इतना फनी हूं। मेरे हिसाब से कॉमेडी जो है वो ट्रेजेडी और टाइम से मिलकर बनी है। बस इसके आगे आप फिल्म में देखेंगे कि कैसे हमेशा खुश और चिल दिखने वाले लोग जरूरी नहीं कि असल जिंदगी में खुश भी हों। उनके चेहरे पर बहुत सारी परतें चढ़ी होती हैं।

सोशल मीडिया पर मीम्स अच्छी आती हैं - आदर्श गौरव

Q. सोशल मीडिया पर अकेलेपन के कॉन्सेप्ट पर आपका क्या कहना है?
A- मतलब सोशल मीडिया के बारे में एक बात है कि कई बार जो आपके अच्छे दोस्त नहीं हैं, अगर आपने उनके साथ अपनी तस्वीर पोस्ट कर दी तो लोग समझेंगे कि ये दोनों तो पक्के दोस्त हैं। असल जिंदगी में जो हमारे बेस्ट फ्रैंड्स होते हैं, उनके साथ हमारी फोटोज ही नहीं होते हैं। जो सबसे पुराने बचपन के दोस्त हैं, उनके साथ भी कोई तस्वीर नहीं होती। मुझे इस प्लेटफॉर्म की अच्छी बात ये लगती है कि मीम्स बहुत आती हैं, जिन्हें देखकर मुझे काफी मजा आता है। इसके अलावा मुझे एनिमल वीडियोज देखने में भी मजा आता है। दरअसल मुझे ‘नैशनल जियोग्राफी’ के लिए काम करना था इसलिए मुझे उनकी वीडियोज देखना पसंद है।  

Q. एक्टिंग के अलावा आपको क्या पसंद है?
A- सच कहूं तो अगर मुझे पेड़ चढऩे के पैसे मिलते तो मैं प्रोफेशनल ट्री क्लाइंबर होता क्योंकि मुझे पेड़ पर चढ़ना पसंद है। गोवा में ये जॉब काफी पॉपुलर भी है।

Q. फिल्म के दौरान आपकी सभी के साथ बॉन्डिंग कैसी रही?
A- सिद्धांत को जब मैं पहली बार मिला था तो मिलते ही हम एक-दूसरे से कनेक्ट हो गए थे। ऐसा लग नहीं रहा था कि हम पहली बार काम कर रहे हैं। थोड़ी देर में ही हम हॉरर स्टोरीज सुनाने लग गए थे। ये मेरी पार्टी ट्रिक है, मैं जब भी कहीं जाता हूं तो हॉरर स्टोरीज सुनाने लगता हूं। मेरे साथ एक बार पुणे में हुआ था कि रात तीन बजे मुझे बाथरूम से कपड़े धोने की आवाज आ रही थी। काफी देर दरवाजा खोलने की कोशिश करने के बाद जब वो खुला तो अंदर कुछ नहीं था। मैं यही किस्सा उन्हें सुना रहा था। इसी तरह बस हमारी बॉन्डिंग बनती चली गई।

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