‘द बंगाल फाइल्स’ मेरा अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण किरदार- पल्लवी जोशी

Updated: 23 Aug, 2025 02:07 PM

the bengal files actress pallavi joshi exclusive interview with punjab kesari

फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' के बारे में मां भारती किरदार निभा रहीं फेमस एक्ट्रेस पल्लवी जोशी ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश...

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। 5 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही द बंगाल फाइल्स को जाने माने डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने डायरेक्ट किया है। इस फिल्म की कहानी बंगाल की उस अनसुनी कहानी को दिखाती है जो शायद बहुत कम लोगों को पता हो। इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, दर्शन कुमार,सौरव दास,अनुपम खेर,पुनीत इस्सर, शाश्वत चटर्जी, दिव्येंदु भट्टाचार्य और राजेश खेड़ा नजर आने वाले हैं। इस फिल्म के बारे में मां भारती किरदार निभा रहीं फेमस एक्ट्रेस पल्लवी जोशी ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश...

पल्लवी जोशी

सवाल1: सबसे पहले मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि प्रमोशन्स को आप कैसे लेती हैं? कई बार प्रमोशन हेक्टिक हो जाते हैं, बार-बार रिपीट लगते हैं।  
जवाब:
मेरे लिए प्रमोशन काफी मायने रखते हैं। हमारी फिल्मों की खासियत यह है कि उनमें हमेशा राजनीतिक बातें जुड़ी रहती हैं। लेकिन असल में मैं सिनेमा की बात करना चाहती हूं, जो अक्सर उस माहौल में संभव नहीं हो पाता। प्रमोशन का दौर मुझे इसलिए अच्छा लगता है क्योंकि उस वक्त मैं खुलकर सिनेमा पर बातचीत कर सकती हूं क्यों हमने यह फिल्म बनाई, कैसे बनाई, एक्टर्स ने क्या योगदान दिया। यह मेरे लिए आउटलेट है और असली पैशन भी यही है।

सवाल2: आपके नए ट्रेलर के अंत में आपका एक शॉट है, जिसे देखकर बहुत जिज्ञासा होती है। रोल के बारे में स्पष्ट नहीं होता। क्या आप थोड़ा बताना चाहेंगी?
जवाब:
मेरे किरदार का नाम है मां भारती। मुझे लगता है इतना नाम ही बहुत कुछ कह देता है। उस लास्ट शॉट में मां भारती के चेहरे पर जो एक्सप्रेशन है वह खुद में पूरी कहानी बयां कर देता है। यह अब तक का मेरा सबसे कठिन किरदार रहा है। बाकी रोल्स में रिसर्च करना आसान था वीडियो देखना, इंटरव्यू पढ़ना। लेकिन इस रोल की कल्पना करना ही मेरे लिए चुनौती था। मैंने बहुत रियाज और मेहनत की तभी शूटिंग तक पहुंच पाई।

सवाल3: जब आपने यह रोल निभाया, तो क्या कभी लगा कि यह आपके लिए बहुत मुश्किल है?
जवाब:
बिल्कुल। पहले दिन तक मैं विवेक से कह रही थी कि किसी उम्रदराज महिला को कास्ट कर लो, मुझसे मत करवाओ। लेकिन विवेक ने कहा कि उन्होंने इस किरदार को मेरे लिए ही लिखा है। पहले दिन सेट पर पहुंचते वक्त मैं बहुत नर्वस थी, लेकिन मैंने खुद से कहा अब तक जितना तैयार किया है वही करना है। डरोगी तो सब खराब हो जाएगा। और फिर ओखली में सिर दिया तो मूसल से क्या डरना।

सवाल4: आपके लंबे करियर में कौन सा सीन या शूट सबसे ज्यादा चैलेंजिंग रहा?
जवाब:
एक सीन में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। हमने पूरा सीन शूट कर लिया था लेकिन हमारे डीओपी अत्तर सिंह सैनी प्राकृतिक रोशनी इस्तेमाल कर रहे थे और सूरज की रोशनी बदल गई। उन्होंने कहा कि मैजिक खत्म हो गया अब यह क्लोजअप कल होगा। अगले दिन जब हमने शूट किया तो उस “सुर” को पकड़ना बहुत कठिन हो गया। मैंने कई रिटेक किए क्योंकि मुझे लग रहा था कि वही भाव नहीं आ रहा। विवेक कह रहे थे सब ठीक है लेकिन मैं संतुष्ट नहीं थी।

सवाल5: आपकी फिल्मों की विदेशों में स्क्रीनिंग भी होती है। खासकर NRI दर्शक वहां कनेक्ट करते हैं। यह परंपरा क्यों शुरू हुई?
जवाब:
यह सिलसिला कश्मीर फाइल्स से शुरू हुआ। रिसर्च के दौरान हमारे ज्यादातर इंटरव्यू अमेरिका और यूके में हुए थे क्योंकि विस्थापन के बाद कश्मीरी पंडित पूरी दुनिया में बिखर गए।हमने कई जगह पर इंटरव्यू किए। मैंने और विवेक ने यूएस और यूके में इंटरव्यू किए। हमारी टीम ने जम्मू , दिल्ली और पुणे में इंटरव्यूज किए। वहां एक संस्थान है ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा तो उन्होंने हमें अप्रोच किया और कहा कि वे सबसे पहले अपनी कम्युनिटी को फिल्म दिखाना चाहते हैं। हमने उनकी बात मानी और यूएस-यूके में प्रीमियर्स किए। वहां से यह परंपरा बनी।

सवाल6: बंगाल फाइल्स की कहानी का शुरुआती बिंदु क्या था?
जवाब:
बंगाल फाइल्स की बात हमने बहुत पहले से सोची हुई थी। जब हमने फाइल्स ट्रिलॉजी की योजना बनाई तो उसमें तीन विषय थे- ट्रुथ, जस्टिस और राइट टू लाइफ। हमने ये भी सोचा हुआ था कि पार्टिशन पर बनाना है। इसके अलावा हमने डायरेक्ट एक्शन डे को भी सोच रखा था। लेकिन हमने रिसर्च पूरी की नहीं थी तो हमे ये नहीं पता था कि ये कैसे होगा इसलिए हमने उसका नाम दिल्ली फाइल्स रखा क्योंकि जो भी राजनीति होती है उसका हब दिल्ली होती है। इसलिए हमने उसका नाम दिल्ली फाइल्स बंगाल चैप्टर उसका नाम रखा।  लेकिन विवेक ने मुझे बोले कि जब बंगाल की बात है तो हम इसका नाम बंगाल फाइल्स रखते हैं फिर उन्होंने शायद ट्विटर पर पोल रखा था तो वहां से इसका नाम द बंगाल फाइल्स तय हुआ। बंगाल फाइल्स पर रिसर्च हमने कश्मीर फाइल्स से पहले शुरू कर दी थी। कोविड लॉकडाउन के दौरान रिसर्च और गहन हो गया। करीब 18,000 पन्नों का डेटा था। उससे स्क्रिप्ट लिखना आसान नहीं था। विवेक ने उसमें से एक कहानी निकाली। यह रिसर्च पांच साल चली।

सवाल7: कास्टिंग प्रोसेस कैसा रहा?
जवाब:
कास्टिंग बेहद महत्वपूर्ण थी। डीओपी अत्तर सिंह सैनी, कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर वीरा कपूर और प्रोडक्शन डिजाइनर रजत पोद्दार जैसे नाम जुड़े। दुर्भाग्य से रजत जी का देहांत हो गया जो हमारे लिए एक बड़ा लॉस था लेकिन उनकी टीम ने काम पूरा किया और बहुत ही गजब काम किया। मिथुन दा के किरदार को विवेक ने खास उनके लिए ही लिखा था। यंग भारती के लिए हमें सिमरत कौर मिलीं उनका चेहरा एकदम रियल और इनोसेंट था। अमरजीत के किरदार के लिए अंत में एकलव्य को चुना गया क्योंकि उनका अप्रोच एकदम फ्रेश था। इसी तरह कई और कलाकार भी जुड़े। सच कहूं तो जब चीजें होनी होती हैं तो खुद-ब-खुद रास्ता बनता चला जाता है। 

सवाल8: आपने कहा कि आपके पास कमर्शियल रोल्स कम आते हैं। तो आप सिलेक्शन कैसे करती हैं?
जवाब:
मैं हमेशा देखती हूं कि रोल में कितना कंटेंट है। ग्लैमर अवतार में मैंने खुद को कभी फिट नहीं पाया क्योंकि मुझे लगता था दीपिका और करीना जैसी अदाकारा से आगे कोई नहीं दिख सकता। तो क्यों वह करना जिसमें आप सेकंड बेस्ट हों? मैंने तहलका, पनाह जैसी कमर्शियल फिल्में भी की लेकिन मुझे मजा इंटेंस और अर्थपूर्ण रोल्स में आता है।

सवाल9: आपके बारे में सबसे बड़ी गलतफहमी क्या है?
जवाब:
मैं सोशल मीडिया पर नहीं हूं और यही मेरी खुशी का राज है। मुझे पता ही नहीं कि लोग मेरे बारे में क्या लिखते हैं। हो सकता है कुछ लोग मुझे इंटिमिडेटिंग मानते हों पर सच्चाई यह है कि मैं ट्रोल्स और राय की बमबारी से दूर रहती हूं। शायद इसलिए हमेशा मुस्कुराती रहती हूं।

सवाल10: आपका करियर 50 साल से भी ज्यादा लंबा रहा है। इतना सब देखने के बाद इस जर्नी का सबसे संतोषजनक पल कौन सा रहा?
जवाब:
मेरे लिए हर प्रोजेक्ट संतोषजनक होता है। जब आप शाम को घर लौटते हैं और परिवार से शेयर करने के लिए बहुत सारी बातें होती हैं वही संतोष होता है। लेकिन अगर मैं कहूं तो 40 साल की उम्र के बाद का फेज मेरे लिए सबसे क्रिएटिव रहा। तब मुझे लगा कि अब असली जिंदगी शुरू हुई है। जो सीखा है, उसे अब अप्लाई करने का समय है।

सवाल11: बंगाल फाइल्स से दर्शकों को क्या संदेश जाएगा?
जवाब:
अच्छी स्क्रिप्ट हमेशा मजबूत कॉन्फ्लिक्ट पर टिकी होती है। जितना बड़ा विलेन होगा उतनी बड़ी हीरो की जीत। लेकिन हम ट्रुथ सिनेमा बनाते हैं इसलिए हमारी फिल्मों का अंत अक्सर सस्पेंडेड रहता है न कि 'हैप्पी एवर आफ्टर'। हमारा मकसद दर्शकों को सोचने पर मजबूर करना है न कि केवल मनोरंजन करना।

 

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