गुजरात के नट समुदायों के 24 गांवों में शराबियों को पिंजड़े में बंद करने और जुर्माने का प्रावधान

Edited By PTI News Agency,Updated: 20 Oct, 2021 05:29 PM

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अहमदाबाद, 20 अक्टूबर (भाषा) गुजरात के 24 गांवों के नट समुदाय ने शराब की लत का मुकाबला करने के लिए एक अनोखा प्रयोग किया है जिसमें नशे की हालत में मिलने वाले लोगों को पिंजड़े में बंद कर दिया जाता है और जुर्माना वसूला जाता है।

अहमदाबाद, 20 अक्टूबर (भाषा) गुजरात के 24 गांवों के नट समुदाय ने शराब की लत का मुकाबला करने के लिए एक अनोखा प्रयोग किया है जिसमें नशे की हालत में मिलने वाले लोगों को पिंजड़े में बंद कर दिया जाता है और जुर्माना वसूला जाता है।
नट समुदाय ने दावा किया है कि उनका यह प्रयोग शराब छुड़ाने में कारगर साबित हो रहा है और इससे समुदाय के लोग शराब से दूरी बना रहे हैं।

सरपंच बाबू नायक ने बताया कि अहमदाबाद जिले के मोतीपुर गांव के नट समुदाय में वर्ष 2019 में रात को शराब के नशे में मिलने पर व्यक्ति को पिंजड़े में बंद करने और 1200 रुपये जुर्माना लगाने का विचार आया। उन्होंने कहा कि गुजरात मद्यनिषेध राज्य है और कानूनी तौर पर शराब पीने पर रोक है, इसके बावजूद समुदाय में शराब पीने वालों की संख्या अधिक थी। इसलिए, यह प्रयोग उन 24 गांवों में दोहराया गया जहां पर नट समुदाय की अच्छी खासी आबादी थी।
नायक ने कहा, ‘‘ वर्ष 2017 में हमने शराब पीने वालों पर 1200 रुपये का जुर्माना लगाने का फैसला किया, लेकिन समुदाय के सदस्यों को बाद में महसूस हुआ कि यह काफी नहीं है, ऐसे में रात को नशे में मिलने वालों को पिंजड़े में बंद करने का नियम बनाया गया।’’
उन्होंने बताया कि इसके बाद गांववालों ने अस्थायी पिंजड़ा बनाया जिसमें शराब पीने वाले को रात बितानी होती हैं। शराब पीने वाले को पिंजड़े में केवल पीने का पानी की बोतल और शौच के लिए कंटेनर दिया जाता है। नायक ने कहा कि यह प्रयोग प्रभावी साबित हो रहा है क्योंकि साल दर साल पिंजड़े में बंद होने वाली संख्या कम हो रही है।

उन्होंने बताया कि इससे शराब की लत छूटने के साथ-साथ घरेलू हिंसा की घटनाएं कम हुई और व्यक्तियों ने कई और बुरी आदतें भी छोड़ दी।
नायक ने बताया कि एक टीम हर व्यक्ति पर नजर रखती है और ग्रामीणों की गुप्ता सूचना पर, खासतौर पर घर की महिला की सूचना पर जो पुरुष सदस्य की शराब पीने से की लत से परेशान होंती हैं- पर कार्रवाई करती है।
उन्होंने बताया कि इस प्रयोग को सबसे पहले मोतीपुरा में अपनाया गया और अब यह धीरे-धीरे जामनगर, अमरेली, भावनगर और सरेंद्र नगर के 24 गांवों में फैल चुका है जहां पर नट समुदाय के लोग रहते हैं।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
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