PoK और गिलगित-बाल्टिस्तान की दुर्दशा उजागर करने UNHRC पहुंचे मानवाधिकार कार्यकर्ता

Edited By Tanuja,Updated: 23 Mar, 2024 06:13 PM

activist highlights demands raised by residents of pok gb at unhrc

यहां स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC ) मुख्यालय में दक्षिण एशिया, विशेषकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान में...

जिनेवा: यहां स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC ) मुख्यालय में दक्षिण एशिया, विशेषकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान में अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति उजागर करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान सरकार की ओर से अपनाई जा रही नीतियों की आलोचना की। एनईपी-जेकेजीबीएल (राष्ट्रीय समानता पार्टी जम्मू कश्मीर, गिलगित बाल्टिस्तान और लद्दाख) ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम आयोजित किया और इसमें विभिन्न कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। आयोजकों द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक कार्यक्रम में अल्पसंख्यक मुद्दों पर विशेष संवाददाता प्रोफेसर निकोलस लेवरट ; यूनान के पूर्व संसद सदस्य और पेशे से पत्रकार कॉन्स्टेंटिन बोगदानोस वक्ताओं में शामिल थे।

 

विज्ञप्ति के मुताबिक त्सेन्गे त्सेरिंग (खोज); ब्रिटिश पत्रकार और लेखक और दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ हम्फ्री हॉक्सले और एनईपी-जेकेजीबीएल के संस्थापक अध्यक्ष सज्जाद राजा भी वक्ताओं में शामिल थे। सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड पीस एडवोकेसी के जोसेफ चोंगसी ने कार्यक्रम के संचालक की भूमिका निभाई। प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक मुख्य आयोजन से इतर आयोजित यह कार्यक्रम पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर केंद्रित था, खासकर जम्मू-कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के क्षेत्रों में। बोगदानोस ने अपने संबोधन में कहा कि नेताओं के साथ-साथ यूरोपीय नागरिकों को भी ‘इन मुद्दों में रुचि लेने की जरूरत है, भले ही वे भौतिक रूप से हमारी सीमाओं से बहुत दूर हों''।

 

उन्होंने अल्पसंख्यकों के संबंध में पाकिस्तानी सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियों और क्षेत्र के सैन्यीकरण, समृद्ध क्षेत्रों को शत्रुतापूर्ण स्थानों में बदलने की कड़ी आलोचना की। उन्होंने उत्तरी साइप्रस में अपने देश की स्थिति का भी जिक्र किया और तर्क दिया कि वे उत्पीड़कों के खिलाफ लड़ रहे हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान के मूल निवासी त्सेंज त्सेरिंग ने पाकिस्तान और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों में इस क्षेत्र के महत्व को समझाया और कहा कि एक समृद्ध क्षेत्र होने के बावजूद, यहां की आबादी गरीबी, शिक्षा और चिकित्सा के बुनियादी ढांचे और खाद्य सुरक्षा के खतरे में रहती है।

 

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार ब्लैकमेल के साधन के रूप में इनका इस्तेमाल करती है। उन्होंने इस तथ्य की भी निंदा की कि वे इस क्षेत्र में बहुसंख्यक होने के बावजूद संवैधानिक अधिकारों के बिना, वोट देने के अधिकार के बिना और कानून बनाने के अधिकार के बिना रहते हैं। हॉक्सले ने उत्पीड़क के प्रति शांतिपूर्ण प्रतिरोध और आपदा से बचने की एकमात्र रणनीति के रूप में इन क्षेत्रों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। लोकतांत्रिक मंच के एक सदस्य ने कहा कि कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक नरसंहार का शिकार हो रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति को नजरअंदाज करता है। इसलिए इस तरह के आयोजन और प्रतिबद्ध दूतों का काम महत्वपूर्ण है।  

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