Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Oct, 2017 06:51 PM
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन 15 अक्टूबर तक कांग्रेस को जानकारी देगा कि ईरान परमाणु करार का पालन कर रहा है या नहीं और अगर पाया जाता है कि ईरान इस करार का पालन नहीं कर रहा तो अमरीकी सांसद ईरान के खिलाफ प्रतिबंध लगा सकते हैं। लावरोव ने इससे पहले कहा कि यह...
मॉस्को: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) में शामिल सभी पक्षों को इसका सम्मान करना चाहिए। एजेंसी के मुताबिक, लावरोव ने अमरीकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन से टेलीफोन पर बातचीत की, जिसमें दोनों पक्षों ने परमाणु करार से जुड़ी वर्तमान स्थिति पर चर्चा की। बयान के मुताबिक, "लावरोव ने इस बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया कि ईरान जेसीपीओए के सभी दायित्वों को निभा रहा है और उन्होंने इसके अन्य सह-प्रायोजकों द्वारा इस करार का पालन किए जाने की जरूरत पर बल दिया।"
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन 15 अक्टूबर तक कांग्रेस को जानकारी देगा कि ईरान परमाणु करार का पालन कर रहा है या नहीं और अगर पाया जाता है कि ईरान इस करार का पालन नहीं कर रहा तो अमरीकी सांसद ईरान के खिलाफ प्रतिबंध लगा सकते हैं। लावरोव ने इससे पहले कहा कि यह उनकी समझ से परे है कि अमरीका कानूनी रूप से इस करार से अलग कैसे होगा। ईरान और छह विश्व शक्तियों (ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और जर्मनी) के बीच जुलाई 2015 में परामाणु समझौता (जेसीपीओए) हुआ था।
ससे पहले ईरान ने अपने रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प को आतंकवादी समूह घोषित करने के खिलाफ अमरीका को चेतावनी दी और कहा है कि अगर अमरीका ने अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए तो क्षेत्रीय अमरीकी सैन्य अड्डे खतरे में पड़ सकते हैं। ईरान की यह चेतावनी सरकारी मीडिया ने 8 अक्टूबर को प्रकाशित की।
ईरान की यह चेतावनी ऐसे समय में सामने आई है, जब इसके पहले व्हाइट हाउस ने कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी नई ईरान रणनीहित के हिस्से के रूप में ईरान के मिसाइल परीक्षणों, आतंकवाद और साइबर अभियानों के समर्थन के लिए नए कदमों की की घोषणा करेंगे।
प्रेस टीवी के अनुसार, गार्ड के कमांडर मोहम्मद अली जाफरी ने कहा, "अगर अमरीका प्रतिबंधों के नए कानून पारित करता है, तो उसे अपने सैन्य अड्डे ईरानी मिसाइल की 2,000 किलोमीटर की मारक क्षमता से दूर लगाने होंगे।" जाफरी ने यह भी कहा कि अतिरिक्त प्रतिबंधों के बाद अमरीका के साथ भविष्य में संवाद की संभावना समाप्त हो जाएगी।