‘घुटन’ महसूस कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के अधिकारी

Edited By ,Updated: 03 Aug, 2015 01:06 AM

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उत्तर प्रदेश के बदनाम इलाकों में अधिकारियों के लिए हालात कभी अनुकूल नहीं रहे हैं। अधिकारियों को निशाना बनाए जाने को लेकर यू.पी. के अधिकारियों में अखिलेश यादव सरकार के प्रति नाराजगी लगातार बनी हुई है

(दिलीप चेरियन): उत्तर प्रदेश के बदनाम इलाकों में अधिकारियों के लिए हालात कभी अनुकूल नहीं रहे हैं। अधिकारियों को निशाना बनाए जाने को लेकर यू.पी. के अधिकारियों में अखिलेश यादव सरकार के प्रति नाराजगी लगातार बनी हुई है और यह बढ़ रही है। राज्य में अधिकारियों को अपने राजनीतिक आकाओं के आदेशों को हर हालत में माने जाने के लिए दबाव बनाया जाता है। बड़ी संख्या में तबादले अब यू.पी. में हर सप्ताह का किस्सा बन चुके हैं। नौकरशाही पर नजर रखने वालों का कहना है कि तबादलों के साथ ही अधिकारियों को हर सप्ताह बड़ी संख्या में सस्पैंड भी किया जा रहा है। 

इस कड़ी में सबसे ताजा विवाद आई.पी.एस. अधिकारी अमिताभ ठाकुर का है, जिन पर अनुशासन तोडऩे के आरोप में कार्रवाई की जा रही है और उन्हें सस्पैंड कर दिया गया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से उनके टकराव के चलते हर स्तर पर उन्हें निशाना बनाया गया है। एक अन्य वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी विजय शंकर पर भी सरकार की नजरें टेढ़ी हैं क्योंकि उन्होंने काले धन के खिलाफ अभियान छेड़ रखा था। उन पर भी अनुशासन न मानने के आरोपों के तहत कार्रवाई की जा रही है क्योंकि उन्होंने काले धन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पी.आई.एल. दायर करने वालों का साथ दिया है। 
 
इस तरह के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इससे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का आधार लगातार खिसक रहा है। एक और वरिष्ठ अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह, जो कि इस साल रिटायर होने वाले थे, द्वारा समय से पहले ही सेवानिवृत्ति (वी.आर.एस.) मांग ली गई है क्योंकि उनके लिए एक ईमानदार अधिकारी के तौर पर काम करना असंभव हो गया है। सूत्रों का कहना है कि 1982 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी सिंह ने राज्य के मुख्य सचिव आलोक रंजन को  अपने फैसले के बारे में पत्र लिखकर सूचित किया है। बताया जा रहा है कि उन्होंने राज्य में वर्तमान प्रशासनिक ढांचे की एक तस्वीर को भी खींचा है और अपने वी.आर.एस. पत्र की प्रति को फेसबुक पर भी पोस्ट कर दिया, जो कि तुरंत ही वायरल हो गया। 
 
इनको तो मोल चुकाना पड़ेगा
हाल ही में कर्नाटक में 18 आई.ए.एस. अधिकारियों के तबादलों में एक बाबू के नाम पर पेंच फंस गया। सूचना तकनीक और जैव प्रौद्योगिकी के पिंसीपल सचिव श्रीवत्स कृष्णा के नाम पर विवाद हो गया। सूत्रों का कहना है कि उनके तबादले के पीछे उनके मंत्री एस.आर. पाटिल की भूमिका रही। कृष्णा  को अब कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग का सचिव नियुक्त किया गया। इस मामले के जानकारों का कहना है कि हाल ही में कृष्णा अपने मंत्री पाटिल के साथ एक निजी कम्पनी को एक प्रोजैक्ट देने के फैसले पर सहमत नहीं था। कम्पनी को काम निविदाएं मांगे बिना ही दिया गया था। 
 
कृष्णा ने अपने मंत्री के मौखिक निर्देशों के अनुसार आदेश बजाना उचित नहीं समझा तो उनका तबादला कर दिया गया, जबकि राज्य के आई.टी. क्षेत्र में उनके तबादले पर काफी नाराजगी व्यक्त की गई। ये अधिकारी हावर्ड बिजनैस स्कूल से पढ़े हैं और उन्हें एक सक्षम अधिकारी माना जाता है, जिन्होंने कर्नाटक में काफी अधिक निवेश लाने में अहम भूमिका निभाई है। वे उन अधिकारियों की टीम में भी शामिल रहे हैं जिन्होंने भारत में ई-गवर्नैंस को लाने में मुख्य भूमिका निभाई है और काफी लोगों को लगता है कि राजनीति ने एक बार फिर से अच्छे प्रशासन को उलट-पलट दिया है। इससे ज्यादा नुक्सान राज्य का ही होगा। 
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