15 साल की लड़की को नशे में धुत कर 20 पुरुषों ने किया बलात्कार, लड़कियों को सेक्स गुलाम बना कर रखा जब चाहें तब करते थे रेप

Edited By Updated: 02 Oct, 2025 01:10 PM

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उत्तरी इंग्लैंड के रॉचडेल में हुआ एक भयावह बाल यौन शोषण (चाइल्ड सेक्सुअल एक्सप्लॉइटेशन) मामला एक बार फिर सामने आया है, जिसने पूरे ब्रिटेन को झकझोर कर रख दिया है। यह क्रूर कांड ब्रिटिश-पाकिस्तानी मूल के एक गिरोह द्वारा नाबालिग और कमज़ोर लड़कियों को...

इंटरनेशनल डेस्क: उत्तरी इंग्लैंड के रॉचडेल में हुआ एक भयावह बाल यौन शोषण (चाइल्ड सेक्सुअल एक्सप्लॉइटेशन) मामला एक बार फिर सामने आया है, जिसने पूरे ब्रिटेन को झकझोर कर रख दिया है। यह क्रूर कांड ब्रिटिश-पाकिस्तानी मूल के एक गिरोह द्वारा नाबालिग और कमज़ोर लड़कियों को 'सेक्स गुलाम' बनाकर शोषण करने से संबंधित है।

मैनचेस्टर क्राउन कोर्ट ने इस कुख्यात गिरोह के सरगना मोहम्मद जाहिद और उसके छह अन्य साथियों को कठोर कारावास की सज़ा सुनाई है। जाहिद को 35 साल की सज़ा मिली, जो इस अपराध की गंभीरता को दर्शाती है, जबकि बाकी सदस्यों को 12 से 29 साल तक की जेल की सज़ा मिली।

अपराध की कहानी: मासूमियत का शिकार
यह गिरोह 2000 के दशक के मध्य में सक्रिय था और विशेष रूप से 13 से 15 साल की कमजोर पारिवारिक बैकग्राउंड वाली लड़कियों को निशाना बनाता था। पीड़ितों को अदालत में girl a और girl B नाम दिया गया था।

65 वर्षीय सरगना मोहम्मद जाहिद, जो रॉचडेल मार्केट में अंडरगारमेंट्स की दुकान चलाता था और 'बॉस मैन' के नाम से जाना जाता था, ने लड़कियों को लुभाने के लिए एक सुनियोजित रणनीति अपनाई। उसने उन्हें मुफ्त अंडरवियर, नकद पैसे, शराब, सिगरेट और भोजन का लालच दिया। धीरे-धीरे, उसने इन लड़कियों का भरोसा जीता और उन्हें अपने तथा अपने साथियों के लगातार यौन शोषण के लिए मजबूर किया।

सरकारी वकीलों ने इसे 'बॉयफ्रेंड मॉडल' की सोची-समझी चाल बताया, जिसमें अपराधी कमजोर पीड़ितों को लालच देकर पहले अपना विश्वासपात्र बनाते हैं और फिर उन्हें कई पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने को विवश करते हैं।

विचलित करने वाले खुलासे
अदालत में सुनाई गई गवाहियां बेहद विचलित करने वाली थीं: पीड़िता Girl A ने बताया कि उसका फ़ोन नंबर 200 से ज़्यादा अपराधियों के बीच बांटा गया था और वह इतने लोगों का शिकार हुई कि उनकी गिनती करना भी मुश्किल था। एक घटना में, एक 15 वर्षीय पीड़िता को इतना नशा करा दिया गया था कि 20 पुरुषों ने उसका एक के बाद एक बलात्कार किया, जबकि दूसरी लड़की सदमे और बीमारी के कारण पास ही बिस्तर पर उल्टी कर रही थी। एक अन्य 13 वर्षीय लड़की इस शोषण के कारण गर्भवती हो गई और उसे गर्भपात कराना पड़ा। जज जोनाथन सीली ने सज़ा सुनाते हुए कहा कि अपराधियों ने कमज़ोर पृष्ठभूमि की इन लड़कियों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया।

दोषी सदस्य और सज़ा
सभी सात अपराधी ब्रिटिश-पाकिस्तानी मूल के थे, जिनमें टैक्सी ड्राइवर और मार्केट स्टॉलधारक जैसे लोग शामिल थे।

आरोपी का नाम (मूल)    सज़ा (वर्ष)    मुख्य अपराध
मोहम्मद जाहिद (सरगना)    35    बलात्कार, बच्ची से अश्लीलता, प्रलोभन
काशिर बशीर                    29    बलात्कार, बच्ची से अश्लीलता
मुश्ताक अहमद                 27    बलात्कार, बच्ची से अश्लीलता
नहीम अकरम                   26    बलात्कार, घुसपैठ कर बच्ची पर हमला
मोहम्मद शहजाद               26    बलात्कार (गर्ल ए के साथ)
निसार हुसैन                      19    बलात्कार
रोहीज खान                       12    बलात्कार

गिरोह पर कुल मिलाकर 20 से अधिक अपराध सिद्ध हुए। यह भी सामने आया कि जाहिद और रोहीज खान पहले भी इसी तरह के मामलों में सज़ा काट चुके थे।

संस्थागत विफलता और न्याय की लड़ाई
यह मामला रॉचडेल बाल यौन शोषण कांड का एक हिस्सा है, जो 2008-2009 में सामने आया था। 2012 में इस पर रिपोर्टिंग होने के बाद पूरे ब्रिटेन में इसी तरह के कई 'ग्रूमिंग गैंग' कांड सामने आए, जिनमें रदरहम और हडर्सफील्ड जैसे शहर भी शामिल थे।

जांचों में यह पाया गया कि इन गिरोहों में दक्षिण एशियाई (मुख्यतः पाकिस्तानी) मूल के पुरुषों की भागीदारी असंतुलित रूप से अधिक थी। 2025 की बैरोनेस केसी रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की। रिपोर्ट ने यह भी उजागर किया कि पुलिस और सामाजिक सेवाओं ने नस्लीय पूर्वाग्रह के डर से कार्रवाई करने में देरी की, जिसके कारण पीड़िताओं को वर्षों तक न्याय नहीं मिला।

गृह सचिव यवेट कूपर ने संसद में इसे लेकर चिंता व्यक्त की और कहा,  ये अपराधी अब छिप नहीं सकते। हम बच्चों को सहमति देने वाले (consenting) के बजाय बच्चे (child) के रूप में देखेंगे।  सरकार ने ऐसे गिरोहों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान शुरू किया है।

पीड़ित महिलाओं ने अपने साहस से न्याय की लड़ाई जीती। Girl B ने अपने बयान में कहा,  हमारी जिंदगियां बर्बाद हो गईं, लेकिन हम चुप नहीं रहेंगी।  यह फैसला न केवल अपराधियों को सज़ा देता है, बल्कि बाल संरक्षण के मामले में ब्रिटिश संस्थानों की विफलताओं पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

 

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