Edited By Shubham Anand,Updated: 30 Aug, 2025 01:35 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी पीएम शिगेरु इशिबा ने द्विपक्षीय सहयोग को लेकर कई अहम समझौते किए। जापान से 10 ट्रिलियन येन निवेश का लक्ष्य तय किया गया। दोनों देशों ने आर्थिक, तकनीकी और ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई। मोदी अब चीन रवाना होंगे,...
इंटरनेशनल डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने शुक्रवार को द्विपक्षीय सहयोग को नई दिशा देने वाले कई महत्वपूर्ण समझौतों को अंतिम रूप दिया। दोनों नेताओं ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत-जापान संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प दोहराया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और जापान न केवल दो प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं हैं, बल्कि दोनों देश जीवंत लोकतंत्रों के रूप में वैश्विक शांति और स्थिरता में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि आने वाले दस वर्षों में जापान से भारत में 10 ट्रिलियन येन का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
भारत और जापान ने आर्थिक सुरक्षा सहयोग पहल, सतत ईंधन परियोजनाएं, और बैटरी सप्लाई चेन साझेदारी को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई है। इसके साथ ही, डिजिटल पार्टनरशिप 2.0, एआई कोऑपरेशन इनिशिएटिव, सेमीकंडक्टर्स, और रेयर अर्थ मिनरल्स को साझा एजेंडे में शीर्ष प्राथमिकता दी गई है। पीएम मोदी ने कहा, “इन पहलों से भारत-जापान की साझेदारी केवल आर्थिक और तकनीकी दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और सतत विकास के मार्ग में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।”
इस मौके पर जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने भारत से अपने गहरे जुड़ाव को याद करते हुए कहा, “छह साल पहले अगस्त में मुझे वाराणसी जाने का अवसर मिला था। वहां की ऐतिहासिक विरासत और समृद्ध संस्कृति ने मुझे अत्यंत प्रभावित किया। भारत के अनादिकालीन इतिहास और उसकी गहराई को देखकर मैं सचमुच अचंभित रह गया था।”
जापान के बाद चीन रवाना होंगे प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी अपनी जापान यात्रा के बाद चीन के लिए रवाना होंगे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस सम्मेलन के दौरान वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, और अन्य वैश्विक नेताओं से द्विपक्षीय मुलाकात भी करेंगे। प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि उनकी जापान और चीन यात्राएं न केवल भारत के राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाएंगी, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, सुरक्षा और सतत विकास को भी मजबूती प्रदान करेंगी।