Edited By Ashish panwar,Updated: 18 Jan, 2020 12:40 AM
2019 से लेकर अब तक रिपब्लिक कांगो में चेचक की वजह से 6 हजार से लोगों की मौत हो चुकीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस पर चिंता जताते हुए हर संभव मदद करने का अपना संकल्प दौहराया है। मेल ऑनलाइन में प्रकाशित खबर के अनुसार, 2019 में चेचक महामारी फैलने के...
इंटरनेशनल डेस्कः 2019 से लेकर अब तक रिपब्लिक कांगो में चेचक की वजह से 6 हजार से लोगों की मौत हो चुकीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस पर चिंता जताते हुए हर संभव मदद करने का अपना संकल्प दौहराया है। मेल ऑनलाइन में प्रकाशित खबर के अनुसार, 2019 में चेचक महामारी फैलने के कारण हुई मौत में अब तक मौत का आंकड़ा इबोला वायरस से होनेवाली मौत से लगभग तीन गुना को पार कर गया है। अभी तक देश के एक चौथाई से अधिक लोगों में चेचक का संक्रमण पाया गया है। WHO ने इसे दुनिया के सबसे बुरे प्रकोप में से एक बताया है।
चेचक की महामारी के लगातार फैलने के बाद भी अभी तक अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का इस पर खास ध्यान नहीं दिया गया। इबोला वायरस फैलने की खबरों ने जितनी सुर्खी बटोरी थी उतनी सुर्खियां चेचक महामारी के कारण होनेवाली बीमारी की नहीं हो रही है। 2018 में इबोला वायरस संक्रमण फैलने की पहली रिपोर्ट के बाद 2,231 लोगों के मौत का रेकॉर्ड दर्ज किया गया था। WHO का कहना है कि, पैसो के अभाव में और पर्याप्त स्वास्थ्य उपकरण नहीं होने के कारण संक्रमण बुरी तरह से फैल रहा है। कांगों में स्वास्थ्य सुविधाओं का पहले ही अभाव है और ऐसे में बिना अंतरराष्ट्रीय सहयोग के चेचक की इस महामारी से निपटना काफी मुश्किल साबित हो रहा है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि संगठन की ओर से कांगो को 26.2 अमेरिकी डॉलर की सहायता मुहैया कराई गई है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।