नफरत फैलाने के लिए ट्विटर, स्कूली किताबों का इस्तेमाल करते हैं सऊदी मौलवी : HRW

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 05:50 PM

saudi clerics use twitter textbooks to spread hate human rights watch

मानवाधिकार निगरानी संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने आज कहा कि सऊदी अरब अपने यहां के शिया अल्पसंख्यकों के खिलाफ मजहबी टोलियों, स्कूली किताबों ...

दुबई: मानवाधिकार निगरानी संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने आज कहा कि सऊदी अरब अपने यहां के शिया अल्पसंख्यकों के खिलाफ मजहबी टोलियों, स्कूली किताबों और सोशल मीडिया के जरिए फैलाई जा रही नफरत की अनदेखी कर रहा है।


न्यूयॉर्क स्थित निगरानीकर्ता ने कहा कि आधिकारिक पदों पर बैठे लोगों समेत सऊदी मौलवी ट्विटर जैसे 21वीं सदी के औजारों को अपने लाखों अनुयायियों के बीच असहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए ‘‘सख्ती से नियोजित’’ कर रहे हैं।इसमें कहा गया है कि उनके शब्द अक्सर ‘‘नफरत और भेदभाव को शह’’ देने के स्तर तक बढ़ जाते हैं।  

निगरानीकर्ता ने कहा कि शियाओं के खिलाफ प्रभावशाली मौलवियों द्वारा छद्म भाषा में की गई आपत्तिजनक टिप्पणियां सरकारी मंजूरी से छपने वाली धार्मिक पुस्तकों और यहां तक कि स्कूली किताबों में भी देखने को मिल जाती हैं जो आम तौर पर शियाओं की धार्मिक मान्यताओं के तिरस्कार के तौर पर की जाती हैं। एचआरडब्ल्यू ने एक फेसबुक पोस्ट समेत इसके कई उदाहरण दिए।

निगरानीकर्ता ने इसके लिए सरकार की शूरा परिषद के एक पूर्व सदस्य अल-शरीफ हातेम बिन अरेफ अल-अवनि की फेसबुक पोस्ट का जिक्र किया है जिसमें 2015 में कातिफ में शिया मस्जिद में किए गए बम धमाके की तारीफ की गई है।उन्होंने बाद में अपनी पोस्ट हालांकि हटा ली थी।शिया विरोधी रवैया ऊपर से ही आता है।  
 

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