Edited By Tanuja,Updated: 16 Oct, 2021 12:54 PM

पाकिस्तान में सिखों के उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसके चलते पाकिस्तान में सिख समुदाय के लोगों के बीच अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है ...
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में सिखों के उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसके चलते पाकिस्तान में सिख समुदाय के लोगों के बीच अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है और पहले से अल्पसंख्यक सिखों की आबादी भी तेजी से घटी है। हाल ही में विगत 30 सितंबर को यूनानी दवाखाना चलाने वाले एक सिख सतनाम सिंह को खैबर पख्तूनवा के पेशावर स्थित दवाखाने में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बाद में इस हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन ISIS (दाएश) ने ली थी। पिछले साल जनवरी में मलेशिया में रहने वाले रविंदर सिंह को शादी करने के लिए पाकिस्तान वापस लौटने पर जान से मार दिया गया था। उसकी हत्या भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रांत खैबर पख्तूनवा के मरदान शहर में हुई थी।
डेली सिख अखबार की रिपोर्ट के अनुसार सिख अधिकारों के हिमायती लोग कहते हैं कि वर्ष 2002 से पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सिखों की आबादी आश्चर्यजनक रूप से लगातार कम होती जा रही है। चूंकि वहां बदस्तूर जबरन मतांतरण और सिखों के खिलाफ हिंसा जारी है। इन मुद्दों पर सिखों को कोई भी कानूनी सुरक्षा नहीं दी गई है। लाहौर के जीसी कालेज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अल्पसंख्यक मानवाधिकारों के कार्यकर्ता प्रो. कल्याण सिंह ने कहा कि सिखों की आबादी पाकिस्तान बेहद तेजी से घटी है और इसका सबसे बड़ा कारण सिखों का जबरन मतांतरण कराना है।
पाकिस्तान के राष्ट्रीय डाटाबेस और पंजीकरण अधिकरण (नाडरा) के अनुसार पाकिस्तान में पंजीकृत सिखों की तादाद महज 6,146 है। जबकि एनजीओ सिख रिसोर्सेज और स्टडी सेंटर की ओर से कराई गई जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान में अब भी करीब 50 हजार सिख जीवित हैं। जबकि अमेरिकी विदेश विभाग के दावे के अनुसार पाकिस्तान में केवल बीस हजार सिख निवास करते हैं। हालांकि वर्ष 2017 की पाकिस्तानी जनगणना में सिखों को शामिल नहीं किया गया था। इसलिए इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। सिख समुदाय के ज्यादातर लोग खैबर पख्तूनवा, सिंध और पंजाब प्रांत में रहते हैं। वर्ष 2009 में तालिबान ने ओर्कजाई में 11 सिख परिवारों के घर धवस्त कर दिए थे। वह उनसे जजिया कर की वसूली करना चाहते थे। जजिया कर न चुकाने पर 2010 में जसपाल सिंह नाम के एक व्यक्ति का सिर कलम कर दिया गया था।