पाकिस्तान में भी तालिबान की एंट्री ! इस्लामाबाद के कट्टरपंथी मदरसे पर फहराया आतंकियों का झंडा

Edited By Tanuja,Updated: 21 Aug, 2021 05:58 PM

taliban flags found hoisted on rooftop of jamia hafsa building in islamabad

अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तान है। अब पाकिस्तान में इस जीत का खुलेआम जश्न मनाया जा रहा है। ...

इस्लामाबाद: अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तान है। अब पाकिस्तान में इस जीत का  खुलेआम जश्न  मनाया जा रहा है। पहले कहा जाता था कि पाकिस्तान का प्रभाव तालिबान पर है। अब तालिबान का प्रभाव पाकिस्तान पर ज्यादा दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि राजधानी इस्लामाबाद सहित कई शहरों में कट्टरपंथियों की भीड़ सरेआम तालिबान के झंडे लहरा रही है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के कई मौलाना तो खुले मंच से तालिबान को जीत की बधाई दे रहे हैं।

 

इस्लामाबाद के जामिया हफ्सा मदरसे पर तालिबान का झंडा फहराता दिखा है। पाक के लिए तालिबानी राज का असर यह होगा कि आने वाले बरसों में पाकिस्तान में सुन्नी और वहाबी चरमपंथ  बढ़ेगा। लोग धार्मिक नेताओं के हाथ की कठपुतली बन जाएंगे। इतना ही नहीं, इससे पूरे पाकिस्तान पर नकारात्मक असर पड़ेगा। पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान गृहयुद्ध की आग में जल सकता है।

 

आतंकियों का समर्थन करने वाली पाकिस्तानी सरकार अनजाने मे अपने ही देश में कट्टरपंथियों को बढ़ावा दे रही है। यही कट्टरपंथी पाकिस्तान में तबाही भी मचा रहे हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार की आंख नहीं खुल रही। कुछ महीने पहले ही तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के समर्थकों ने पूरे देश में जमकर बवाल काटा था।

 
जामिया हफ्सा पहले महिलाओं का एक मदरसा हुआ करता था। बाद में कट्टरपंथियों ने इसे बंद कर दिया। यह मदरसा इस्लामाबाद की विवादित लाल मस्जिद के पास स्थित है। लाल मस्जिद का मौलाना अब्दुल अजीज कई बार पाकिस्तानी सरकार को खुली चुनौती दे चुका है। इसी मस्जिद पर सैन्य कार्रवाई करने के आरोप में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को गिरफ्तार किया जा चुका है।
 
 
नौबत यहां तक आ गई कि इस कट्टरपंथी समूह को प्रतिबंधित करने के बावजूद इमरान खान सरकार को इसके मुखिया को रिहा करना पड़ा था। इतना ही नहीं, खुद देश के आंतरिक मंत्री शेख रशीद ने कट्टरपंथियों के साथ बैठक कर उनकी मांगे मानी थी। यह वही संगठन है जिसने पाकिस्तान सरकार को फ्रांसीसी राजदूत के निष्कासन को लेकर अल्टीमेटम दिया था।

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