Edited By Tanuja,Updated: 08 Apr, 2025 06:43 PM
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही गहरे संकट में है और अब विदेशी निवेशकों ने भी इस पर से भरोसा उठाना शुरू कर दिया है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के...
Islamabad: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही गहरे संकट में है और अब विदेशी निवेशकों ने भी इस पर से भरोसा उठाना शुरू कर दिया है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (UK) ने पाकिस्तान के ट्रेजरी बिल्स (T-Bills) से 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम निकाल ली है।
T-Bills क्या होते हैं?
ट्रेजरी बिल (T-Bill) सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले छोटे समय के कर्ज पत्र होते हैं। आमतौर पर इनकी अवधि 94 दिन, 182 दिन या 364 दिन होती है। सरकारें इससे पैसा जुटाती हैं और एक तय समय पर रिटर्न देने का वादा करती हैं। निवेशकों के लिए यह आमतौर पर सुरक्षित निवेश माना जाता है। लेकिन अगर देश में राजनीतिक या आर्थिक अस्थिरता हो तो निवेशक अपना पैसा निकालने लगते हैं। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) की रिपोर्ट के मुताबिक 1 जुलाई 2024 से 14 मार्च 2025 के बीच T-Bills में कुल 1.163 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ था। लेकिन इसी दौरान 1.121 बिलियन डॉलर निकाल लिए गए। इसका मतलब, अब पाकिस्तान के पास सिर्फ 42 मिलियन डॉलर का निवेश बचा है, जो कि बहुत ही कम है।
किसने कितने पैसे निकाले?
यूनाइटेड किंगडम 2025 में 710 मिलियन डॉलर निवेश किए और 625 मिलियन डॉलर निकाल लिए जबकि यूएई इस साल 205 मिलियन डॉलर निवेश किए और सारी राशि निकाल ली । इसी तरह अमेरिका ने130 मिलियन डॉलर लगाए और 130 मिलियन डॉलर ही निकाल लिए।
विदेशी निवेशकों को डर क्यों लग रहा है?
पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ बहुत ज्यादा बढ़ चुका है। स्टेट बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में पाकिस्तान का कुल बकाया कर्ज 26.2 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। आर्थिक विकास दर (GDP Growth Rate) भी काफी कमजोर हो चुकी है। राजनीतिक अस्थिरता (शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ बढ़ती नाराजगी) भी विदेशी निवेशकों को डरा रही है। IMF जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी बार-बार बेलआउट की जरूरत पड़ रही है, जो कि देश की कमजोर स्थिति को उजागर करता है।
वित्तीय विश्लेषकों की राय
वित्तीय विश्लेषकों (Financial Analysts) का कहना है कि अगर पाकिस्तान जल्द अपने आर्थिक और राजनीतिक हालात नहीं सुधारता, तो आने वाले महीनों में विदेशी निवेश पूरी तरह खत्म हो सकता है। इससे देश में डॉलर की किल्लत और बढ़ेगी और महंगाई (Inflation) पर भी जोरदार असर पड़ेगा। शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही है। अब विदेशी निवेशकों का भरोसा उठना सरकार के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। इससे न केवल डॉलर की आपूर्ति घटेगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि भी खराब होगी।