Edited By Tanuja,Updated: 12 May, 2025 07:04 PM

भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को शाम 5 बजे से संघर्षविराम लागू हुआ था। लेकिन पाकिस्तान ने अपनी आदत के मुताबिक कुछ ही...
International Desk: भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को शाम 5 बजे से संघर्षविराम लागू हुआ था। लेकिन पाकिस्तान ने अपनी आदत के मुताबिक कुछ ही घंटों बाद इस समझौते की धज्जियां उड़ा दीं। रात होते-होते भारतीय सीमा में पाकिस्तानी ड्रोन घुसपैठ और गोलाबारी की खबरें सामने आईं। भारत की सेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया। इस हरकत ने पाकिस्तान की कथित 'शांति नीति' की पोल खोल दी है, जिसे अब विदेशी मीडिया भी उजागर कर रहा है।
विदेशी मीडिया ने पाकिस्तान की असलियत को बेनकाब किया
The Washington Post (अमेरिका): "भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम को सीमा पर हुए टकराव ने बड़ा झटका दिया है। कश्मीर के निवासियों और भारतीय अधिकारियों ने बताया कि संघर्षविराम के बावजूद रातभर गोलीबारी होती रही।"
The New York Post (अमेरिका)
भारत और पाकिस्तान ने युद्धविराम की घोषणा की, लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में झड़पें जारी रहीं। अमेरिकी मध्यस्थता का जिक्र ट्रंप ने किया, लेकिन उसे सिर्फ पाकिस्तान ने स्वीकारा।
Global Times (चीन)
पाक पीएम शहबाज शरीफ ने अमेरिका, चीन और सऊदी अरब को शांति प्रयासों में सहयोग के लिए धन्यवाद दिया, लेकिन संघर्षविराम को तोड़ने के बारे में चुप्पी साध ली।
The Guardian (ब्रिटेन)
नाजुक युद्धविराम के बीच ट्रंप ने कहा कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ व्यापार बढ़ाएगा और कश्मीर मसले का हल तलाशेगा।
Al Jazeera (कतर)
संयुक्त राष्ट्र और बांग्लादेश, तुर्की, यूके जैसे 30 से अधिक देशों ने संघर्षविराम का स्वागत किया है।
CNN (अमेरिका)
संघर्षविराम की घोषणा के कुछ घंटों बाद ही कश्मीर में धमाके हुए, लेकिन दोनों देशों ने इसे लागू रखने का संकल्प दोहराया।
Le Monde (फ्रांस)
20 साल बाद भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम पर सहमत हुए, लेकिन जमीनी सच्चाई यही है कि गोलीबारी बंद नहीं हुई।
Sputnik International (रूस)
"भारत ने पाकिस्तान पर संघर्षविराम तोड़ने का आरोप लगाया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि सेना सतर्क है और कार्रवाई के लिए तैयार है।"
पाकिस्तान भरोसे लायक नहीं
भारत ने फिर एक बार जिम्मेदारी दिखाते हुए शांति की ओर कदम बढ़ाया, लेकिन पाकिस्तान की दोहरी नीति ने दुनिया को उसकी सच्चाई दिखा दी। भारत अब चुप बैठने वालों में नहीं, और दुनिया भी जान चुकी है कि पाकिस्तानी वादों का कोई मूल्य नहीं।