Edited By Anu Malhotra,Updated: 25 Sep, 2025 07:09 AM

जानकारी के मुताबिक, अमेरिका का वेनेजुएला भूकंप का केंद्र देश के उत्तर-पश्चिमी इलाके में स्थित मेने ग्रांडे रहा, जो राजधानी कराकस से सैकड़ों किलोमीटर दूर है। ज़मीन के करीब 10 किलोमीटर भीतर से उठी इस हलचल की तीव्रता 6.1 मापी गई, जो किसी भी लिहाज़ से...
इंटरनेशनल डेस्क: दुनिया के कई हिस्सों में हाल के दिनों में धरती की थरथराहट लोगों को डरा रही है। एक बार फिर से ज़मीन ने अपने भीतर छुपे ग़ुस्से को बाहर निकाला—इस बार निशाना बना दक्षिणी अमेरिका का वेनेजुएला। गुरुवार की सुबह यहां धरती इतनी ज़ोर से कांपी कि लोग डर के मारे घरों से बाहर निकल आए। भूकंप की तीव्रता इतनी थी कि उसका असर कई किलोमीटर दूर तक महसूस किया गया।
वेनेजुएला की धरती हिली, दहशत में लोग
जानकारी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र देश के उत्तर-पश्चिमी इलाके में स्थित मेने ग्रांडे रहा, जो राजधानी कराकस से सैकड़ों किलोमीटर दूर है। ज़मीन के करीब 10 किलोमीटर भीतर से उठी इस हलचल की तीव्रता 6.1 मापी गई, जो किसी भी लिहाज़ से मामूली नहीं कही जा सकती। अमेरिका के भूगर्भ वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि की है, लेकिन स्थानीय सरकार की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
भूकंप का विज्ञान: ज़मीन के नीचे चल रही है हलचल
आप शायद हर बार यही सोचते होंगे कि आख़िर धरती क्यों कांपती है? इसके पीछे का विज्ञान बेहद दिलचस्प और थोड़ा डरावना भी है। धरती की सतह दरअसल एक ठोस प्लेट नहीं है, बल्कि यह कई विशाल टुकड़ों से बनी है जिन्हें वैज्ञानिक ‘टेक्टोनिक प्लेट्स’ कहते हैं। ये प्लेटें लगातार खिसकती रहती हैं, और जब इनमें टकराव होता है, तो ज़मीन के भीतर बड़ी मात्रा में ऊर्जा जमा हो जाती है। जब ये ऊर्जा बाहर निकलती है, तो उसका असर भूकंप के रूप में महसूस होता है।
दुनियाभर में बढ़ रही हैं भूकंप की घटनाएं
हाल के महीनों में अफगानिस्तान, म्यांमार और तुर्की जैसे देशों में भी भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। जानकार मानते हैं कि टेक्टोनिक प्लेट्स की गतिविधियों में तेज़ी और बदलते पर्यावरणीय हालात इस बढ़ोतरी के पीछे अहम कारण हो सकते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक भविष्यवाणी करने में अब भी पूरी तरह सक्षम नहीं हैं कि अगला भूकंप कब और कहां आएगा।
फिलहाल राहत की खबर है कि वेनेजुएला में किसी बड़े नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इस झटके ने एक बार फिर याद दिला दिया कि धरती के नीचे चल रही हलचलें कभी भी ज़मीन को हिला सकती हैं।