बिना परामर्श न धारण करें रत्न, छूट जाता है भाग्य का साथ

Edited By ,Updated: 01 Feb, 2016 05:39 PM

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अक्सर यह देखने में आता है कि लोग बिना किसी ज्योतिषीय परामर्श के कोई भी रत्न धारण कर लेते हैं जो बिल्कुल गलत है। कुंडली के अशुभ ग्रहों के विश्लेषण के बिना कोई रत्न धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि

अक्सर यह देखने में आता है कि लोग बिना किसी ज्योतिषीय परामर्श के कोई भी रत्न धारण कर लेते हैं जो बिल्कुल गलत है। कुंडली के अशुभ ग्रहों के विश्लेषण के बिना कोई रत्न धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे रत्नों के अशुभ प्रभाव भी हम पर पड़ सकते हैं। अशुभ ग्रहों का निर्धारण तृतीयेश, षष्ठेश एवं द्वादशेश के माध्यम से करने के बाद ही रत्नों को धारण करना चाहिए। भिन्न-भिन्न लग्न वाले जातकों के लिए उपयुक्त रत्न एवं उन्हें धारण करने के समय का उल्लेख यहां किया जा रहा है।

पुखराज : मेष लग्न वालों के लिए मूंगा के साथ पुखराज अत्यंत शुभकारी माना जाता है। कुंभ लग्न वालों के साथ पुखराज मारक होता है। वृश्चिक लग्न वाले मूंगा के साथ पीला पुखराज धारण कर सकते हैं। सिंह लग्न के जातक इसे माणिक्य के साथ धारण करें। कर्क लग्न वालों को मोती या मूंगा के साथ पीला पुखराज तथा मिथुन लग्न वालों को गुरु की महादशा में इसे धारण करना चाहिए। मिथुन वालों को पुखराज हानि भी पहुंचा सकता है।

माणिक्य : मेष लग्न वाले जातकों के लिए माणिक्य संतान सुख, आत्म उन्नति, राज्यकृपा आदि को प्राप्त कराने वाला होता है। वृष, तुला, कर्क, सिंह तथा वृश्चिक एवं धनु लग्न के जातकों के लिए माणिक्य शुभकारी, नेत्र रोग हर तथा सौभाग्यवद्र्धक माना जाता है। मिथुन, कन्या, मकर, कुंभ एवं मीन लग्न के जातकों के लिए माणिक्य शुभ नहीं होता। माणिक्य के साथ हीरा, नीलम, गोमेद या लहसुनिया कभी भी धारण नहीं करना चाहिए।

नीलम : नीलम धारण करने से पहले सभी को इसके शुभ-अशुभ का परीक्षण कर लेना चाहिए। इसके लिए नीलम को गंगाजल से धोकर नीले कपड़े में लपेट लें। शनिवार को सूर्यास्त से दो घंटे पहले दाहिनी बांह में बांध कर रात बिताएं। रात में अगर कोई कष्ट हो, भयानक स्वप्न आएं या अन्य कोई बाधा आए तो नीलम आपके लिए नहीं है। अगर सब कुछ सामान्य रहे तो नीलम धारण किया जा सकता है।

मकर एवं कुंभ लग्न वालों के लिए नीलम सदा लाभकारी होता है। वृष एवं तुला लग्न वालों को हीरा के साथ नीलम व मिथुन एवं कन्या लग्न के जातकों के लिए पन्ना के साथ नीलम अधिक फलदायी होता है। मेष लग्न वालों की कुंडली में शनि अगर प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम, दशम या एकादश भाव में स्थित हो तो शनि की महादशा या अंतर्दशा में नीलम धारण करना शुभकारी होता है। कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु एवं मीन लग्न वालों के लिए नीलम अशुभ होता है। नीलम के साथ माणिक्य मोती, मूंगा या पीला पुखराज कभी नहीं धारण करना चाहिए।

मूंगा : वृश्चिक एवं मीन लग्न वालों के लिए मूंगा हमेशा शुभकारी होता है। मेष, कर्क, सिंह राशि के जातकों के लिए मूंगा माणिक्य के साथ लाभकारी होता है। धनु एवं मकर लग्न वाले जातकों को मंगल की महादशा की स्थिति में ही मूंगा धारण करना चाहिए। वृष, मिथुन एवं कन्या लग्न वालों को मूंगा शुभ फल प्रदान नहीं करता।

हीरा : वृष तथा तुला लग्न वालों के लिए हीरा आजीवन शुभकारी होता है। मिथुन एवं कन्या लग्न वाले शुक्र की महादशा में पन्ना के साथ हीरा धारण करें। मकर तथा कुंभ लग्न वाले प्लेटिनम या चांदी में हीरा मढ़ाकर धारण कर सकते हैं। मेष, वृश्चिक, कर्क, सिंह, धनु एवं मीन राशि वालों के लिए हीरा अशुभ होता है।

पन्ना : सिंह लग्न वाले बुध की महादशा में पन्ना धारण कर सकते हैं। वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर एवं  कुंभ लग्न वालों के लिए पन्ना हीरा के साथ अधिक फलदायी होता है। वृश्चिक लग्न वालों की कुंडली में बुध अगर प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम या एकादश भाव में हो तो पन्ना के साथ इसे धारण किया जा सकता है। मेष, कर्क एवं मीन लग्न वाले जातकों के लिए यह मारक रत्न माना जाता है।

मोती : मोती के साथ नीलम, हीरा, गोमेद या पन्ना कभी भी नहीं धारण करना चाहिए। तुला, वृश्चिक, मीन एवं कर्क लग्न वाले जातकों के लिए मोती आजीवन शुभकारी होता है। वृष, धनु, मकर एवं कुंभ लग्न के जातकों के लिए मोती अशुभ माना जाता है।

—परमानंद परम 

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