मामलों के निपटारे के लिए अधिकारियों को अधिकृत करने पर जल्द फैसला हो : राष्ट्रीय लोक अदालत

Edited By PTI News Agency,Updated: 10 May, 2022 03:00 PM

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मुंबई, नौ मई (भाषा) राष्ट्रीय लोक अदालत ने मुकदमों के निपटारे के लिए अधिकारियों को अधिकृत करने पर शीघ्र फैसला लेने का प्राधिकारियों से अनुरोध किया ताकि मुकदमों का भार कम किया जा सकें। उसने कहा कि मुआवजा देने में अनुचित देरी से इस कानून का मूल...

मुंबई, नौ मई (भाषा) राष्ट्रीय लोक अदालत ने मुकदमों के निपटारे के लिए अधिकारियों को अधिकृत करने पर शीघ्र फैसला लेने का प्राधिकारियों से अनुरोध किया ताकि मुकदमों का भार कम किया जा सकें। उसने कहा कि मुआवजा देने में अनुचित देरी से इस कानून का मूल उद्देश्य खत्म हो जाता है।
बंबई उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई ने सात मई को राष्ट्रीय लोक अदालत की अध्यक्षता की। उस दिन राष्ट्रीय लोक अदालत के समक्ष रेलवे दावा अधिकरण से जुड़ी कुल 112 अपीलें पेश की गयीं।

बहरहाल, रेलवे की ओर से पेश वकील टी जे पांडियन ने कहा कि उस दिन अदालत में मौजूद रेलवे अधिकारियों को समझौता करने या मामले को सुलझाने पर सहमति देने का अधिकार नहीं था।

न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने कहा कि मार्च 2022 में लोक अदालत इसी वजह के कारण करीब 150 मामलों का निपटारा नहीं कर पायी थी।

ऐसे मामलों में पीड़ितों की पैरवी करने वाले वकीलों ने न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई से कहा कि 1,000 से अधिक अपील लंबित हैं और अगर रेलवे प्राधिकारी अपनी सहमति दे देते तो लोक अदालत में इनका निपटारा किया जा सकता था।

न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने अपने फैसले में कहा, ‘‘लोक अदालत आम आदमी और समाज के सबसे जरूरतमंद वर्ग, खासतौर से उन लोगों जो किसी अप्रिय घटना में अपने प्रियजन या घर के इकलौते कमाऊ सदस्य को खो चुके हैं, उन्हें त्वरित, आर्थिक और व्यवहार्य न्याय प्रदान करती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अत: यह आवश्यक है कि संबंधित प्राधिकारी कोई समझौता करने के लिए अपने अधिकारियों को अधिकृत करने के संबंध में शीघ्र निर्णय लें।’’
न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने रेलवे प्राधिकारियों को इस मामले को गंभीरता से लेने और इस संबंध में शीघ्र फैसला लेने का निर्देश दिया।
लोक अदालत वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र है जहां अदालतों में लंबित विवादों/मुकदमों को परस्पर सहमति से निपटाया जाता है।



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