एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नये मुख्यमंत्री होंगे : फडणवीस

Edited By Updated: 30 Jun, 2022 07:22 PM

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मुंबई, 30 जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस ने एक चौंकाने वाले कदम के तहत बृहस्पतिवार को घोषणा की कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नये मुख्यमंत्री होंगे। यह घोषणा ऐसे समय आयी है जब शिवसेना के बागी नेता शिंदे ने 10...

मुंबई, 30 जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस ने एक चौंकाने वाले कदम के तहत बृहस्पतिवार को घोषणा की कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नये मुख्यमंत्री होंगे। यह घोषणा ऐसे समय आयी है जब शिवसेना के बागी नेता शिंदे ने 10 दिन पहले बगावत का झंडा बुलंद किया था और उद्धव ठाकरे ने बुधवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

फडणवीस और शिंदे की राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात के बाद यह घोषणा की गई। हालांकि, तब तक कयास लगाये जा रहे थे कि एकनाथ के नेतृत्व वाले बागी शिवसेना विधायकों के समर्थन से फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

राज्यपाल से मुलाकात के बाद फडणवीस ने राजभवन में एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से शिवसेना विधायक शिंदे (58) अकेले ही बृहस्पतिवार को शाम साढ़े सात बजे राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे और मंत्रिमंडल का विस्तार बाद में किया जाएगा। शिंदे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘फडणवीस ने मुझ पर जो भरोसा जताया है, उस पर मैं खरा उतरुंगा।’’
पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि भाजपा शिंदे गुट को अपना समर्थन देगी। भाजपा महाराष्ट्र विधानसभा में सबसे बड़ा दल है, जिसके 106 विधायक हैं।

फडणवीस ने कहा, ‘‘मैं सरकार से बाहर रहूंगा, हालांकि, सरकार का सुचारू रूप से संचालन सुनिश्चित करूंगा जो उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद विकल्प के तौर पर सामने आयी है।’’
फडणवीस ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान शिवसेना (बागी विधायक) और भाजपा विधायकों के अलावा कुछ निर्दलीय विधायक मंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सत्ता के लिए नहीं बल्कि सिद्धांतों और हिंदुत्व की विचारधारा के लिए है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा राज्य पर मध्यावधि चुनाव थोपने के खिलाफ थी। उन्होंने कहा कि शिवसेना के पदाधिकारियों में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन करने के चलते रोष था क्योंकि ये कथित तौर पर 2019 विधानसभा चुनाव के जनमत का अपमान था। फडणवीस ने कहा कि भाजपा और शिवसेना ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था।

भाजपा नेता ने दावा किया, ‘‘उद्धव ठाकरे ने उन दलों (कांग्रेस और राकांपा) के साथ गठबंधन किया, जिनके खिलाफ बाल ठाकरे पूरी जिंदगी लड़ते रहे।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ‘‘भ्रष्ट’’ था और उसके दो मंत्री भ्रष्टाचार और धनशोधन मामले में जेल में हैं।

फडणवीस ने कहा कि शिवसेना विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि एमवीए के गठबंधन सहयोगी उन्हें नुकसान पहुंचा रहे थे।

वहीं, एकनाथ शिंदे ने कहा कि उन्होंने राज्य के विकास को ध्यान में रखते हुए 50 विधायकों के समर्थन के साथ यह निर्णय (एमवीए सरकार से बगावत) लिया और ‘‘इसमें उनका कोई निजी हित नहीं है।’’
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे शिंदे ने एमवीए सरकार के संचालन के तौर-तरीकों पर सवाल उठाया और उन्हें मुख्यमंत्री बनने का अवसर देने के लिए फडणवीस का आभार जताया।

शिंदे ने कहा कि फडणवीस ने बड़प्पन दिखाते हुए ‘‘बाला साहेब के शिवसैनिक’’ को अगला मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया है।

इससे पहले दिन में, गोवा से मुंबई पहुंचे एकनाथ शिंदे ने फडणवीस से उनके दक्षिण मुंबई स्थित आधिकारिक आवास पर मुलाकात की और दोनों ने एक दिन पहले ठाकरे द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिये जाने के बाद राज्य में अगली सरकार बनाने के विषय पर चर्चा की।

शिंदे और फडणवीस ने संक्षिप्त मुलाकात की और बाद में दोनों नेता भाजपा के अन्य नेताओं के साथ राजभवन के लिए रवाना हो गये।

भाजपा ने दावा किया है कि उसे शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना के बागी खेमे के विधायकों समेत कुल 170 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।

मुंबई पुलिस ने शिंदे के शहर में पहुंचने के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये। अधिकारियों के अनुसार सड़कों को खाली करा दिया गया था ताकि शिंदे दक्षिण मुंबई के मालाबार हिल में फडणवीस के सरकारी बंगले ‘सागर’ तक सुगमता से पहुंच जाएं।

संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) विश्वास नागरे पाटिल स्वयं काफिले के आगे रहे, वहीं अन्य पुलिस अधिकारी मार्ग पर आवाजाही सुगम बनाये रखने के लिए मोर्चा संभाले हुए थे। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि शिवसेना के समर्थक इस दौरान प्रदर्शन नहीं करें।

अधिकारियों के अनुसार, ‘‘आज चार्टर्ड विमान से मुंबई हवाई अड्डे पर पहुंचे शिंदे को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वहां से दक्षिण मुंबई तक ले गये। शिंदे के काफिले के गुजरने के लिए इस मार्ग पर सामान्य यातायात रोक दिया गया।’’
शिंदे रास्ते में समर्थकों को हाथ हिलाकर उनका अभिवादन करते हुए दिखे।

अधिकारियों ने बताया कि ‘सागर’ के बाहर प्रदर्शन की कोशिश कर रहे कुछ शिवसेना कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया।

वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने बृहस्पतिवार को कहा कि बागियों ने स्वयं अपना रास्ता चुना है और पार्टी की ओर से उनके भाजपा से गठबंधन करने पर कोई बाधा उत्पन्न नहीं की जाएगी। उन्होंने साथ ही कहा कि शिवसेना नयी सरकार में सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी।

शिवसेना के अधिकतर विधायकों के बगावत के बाद पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के एक दिन बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए राउत ने यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि बागी नेताओं को शिवसेना से अलग होने के अपने फैसले पर ‘‘अफसोस’’ होगा।

राउत ने कहा, ‘‘आपको (बागी नेताओं को) इसके लिए अफसोस होगा। एकनाथ शिंदे (बागी विधायकों के नेता) कट्टर शिवसैनिक थे और कई सालों तक उन्होंने पार्टी के लिए काम किया। चाहे वह (विधायक) गुलाबराव पाटिल, संदीपन भुमरे और अन्य (जिन्होंने शिंदे का पक्ष लिया) हो, उन्होंने पार्टी के लिए कार्य किया और उसके लिए संघर्ष किया... उन्होंने अपना रास्ता स्वयं चुना है।’’
शिवसेना के बागी विधायकों ने राउत के बयान को उनके और पार्टी नेतृत्व के बीच दूरी बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए राउत ने कहा,‘‘अगर मैं शिवसैनिक को एक मंत्री बनाने के लिए जिम्मेदार हूं तो यह जिम्मेदारी मैं लेता हूं।’’
उधर, महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने बृहस्पतिवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से उनसे आवास ‘मातोश्री’ में मुलाकात की। कांग्रेस नेता नितिन राउत ने कहा कि यह एक शिष्टाचार भेंट थी, क्योंकि उन्होंने महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार में ढाई साल तक ठाकरे के साथ काम किया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस का गठबंधन (एमवीए) बरकरार रहेगा तो उन्होंने कहा कि इस पर अबतक चर्चा नहीं हुई है। नितिन राउत ने कहा कि कांग्रेस विपक्षी पार्टी की तरह काम करेगी।

प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि पार्टी आगामी स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ेगी जबकि इस बात पर फैसला पार्टी नेतृत्व करेगा कि क्या विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन को बरकरार रखा जाए।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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