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मंदिरों के चढ़ाए गए सोने से बनीं 24 कैरेट की ईंटें, ब्याज से हो रहा करोड़ों का फायदा

Edited By Parminder Kaur,Updated: 18 Apr, 2025 11:58 AM

24 carat bricks made from gold offered in temples

तमिलनाडु सरकार ने एक अनोखी और सराहनीय पहल की है। राज्य के विभिन्न मंदिरों में भक्तों द्वारा चढ़ाए गए 1,000 किलो से अधिक सोने को अब आमदनी का स्रोत बना दिया गया है। इन आभूषणों को पिघलाकर 24 कैरेट की सोने की ईंटें बनवाई गईं और उन्हें बैंकों में जमा कर...

नेशनल डेस्क. तमिलनाडु सरकार ने एक अनोखी और सराहनीय पहल की है। राज्य के विभिन्न मंदिरों में भक्तों द्वारा चढ़ाए गए 1,000 किलो से अधिक सोने को अब आमदनी का स्रोत बना दिया गया है। इन आभूषणों को पिघलाकर 24 कैरेट की सोने की ईंटें बनवाई गईं और उन्हें बैंकों में जमा कर दिया गया।

हर साल मिल रही करोड़ों की ब्याज से कमाई

तमिलनाडु विधानसभा में धार्मिक और धर्मार्थ निधि विभाग के मंत्री पी.के. शेखर बाबू ने जानकारी दी कि इस योजना से सरकार को हर साल करीब 17.81 करोड़ रुपये का ब्याज मिल रहा है। इस आमदनी का इस्तेमाल मंदिरों के विकास कार्यों और सुविधाओं को सुधारने में किया जा रहा है।

सोने की ईंटें कैसे बनीं और कहां जमा की गईं?

जो सोने के आभूषण मंदिरों में चढ़ाए गए थे लेकिन जिनका उपयोग नहीं हो रहा था। उन्हें मुंबई के सरकारी टकसाल (Mint) में पिघलाकर शुद्ध सोने की ईंटों में बदला गया। इसके बाद इन ईंटों को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में स्वर्ण निवेश योजना के तहत जमा किया गया।

21 मंदिरों से जुटाया गया सोना

मंत्री ने बताया कि अब तक कुल 21 मंदिरों से लगभग 10,74,123.488 ग्राम (यानी करीब 1,074 किलो) सोना एकत्रित कर उसे निवेश किया गया है।

सबसे बड़ा योगदान

अरुल्मिगु मरिअम्मन मंदिर, समयपुरम (तिरुचिरापल्ली जिला) इस मंदिर से सबसे ज़्यादा करीब 424.26 किलो सोना प्राप्त हुआ।

पारदर्शिता के लिए बनी निगरानी समितियां

इस पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने तीन अलग-अलग निगरानी समितियां बनाई हैं। इन समितियों की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीशों द्वारा की जा रही है। ये समितियां सोने को पिघलाने, गिनती, मूल्यांकन और निवेश की प्रक्रिया पर निगरानी रखती हैं।

अब चांदी पर भी योजना

सरकार की अगली योजना मंदिरों में रखी अप्रयुक्त चांदी की वस्तुओं को लेकर है। इन्हें भी पिघलाकर शुद्ध चांदी की छड़ों में बदला जाएगा और फिर निवेश किया जाएगा, जिससे मंदिरों को और अधिक आर्थिक लाभ मिल सके।

मंदिरों को आर्थिक सुरक्षा और फायदा

सरकार का कहना है कि यह योजना मंदिरों की संपत्ति को सुरक्षित रखने और उसका उचित उपयोग करने की दिशा में एक सकारात्मक और दूरदर्शी कदम है। इससे ना केवल भक्तों की श्रद्धा का सम्मान होता है, बल्कि मंदिरों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में भी मदद मिलती है।

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