Edited By Pardeep,Updated: 13 Dec, 2025 11:14 PM

पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सरगना मसूद अजहर ने 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर की जेल से भागने की अपनी नाकाम कोशिश को खुद स्वीकार किया है।
नेशनल डेस्कः पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सरगना मसूद अजहर ने 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर की जेल से भागने की अपनी नाकाम कोशिश को खुद स्वीकार किया है। एक ऑडियो क्लिप में वह खुलकर बता रहा है कि कैसे जम्मू की कोट भलवाल जेल में सुरंग खोदकर फरार होने की उसकी योजना आखिरी दिन फेल हो गई और इसके बाद उसे और अन्य आतंकियों को कड़ी सजा झेलनी पड़ी।
यह ऑडियो क्लिप पाकिस्तान में किसी खुले कार्यक्रम की बताई जा रही है, जहां लाउडस्पीकर पर मसूद अजहर की आवाज गूंजती सुनाई देती है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस ऑडियो को असली बताया है। इसमें मसूद अजहर भावुक होते हुए उस दौर को याद करता है, जब वह जेल से भागने की कोशिश के बाद जेल अधिकारियों की सख्ती और पिटाई से डर गया था।
सुरंग खोदकर भागने की थी साजिश
ऑडियो में मसूद अजहर कहता है कि उसने जम्मू-कश्मीर की हाई-सिक्योरिटी कोट भलवाल जेल में काफी समय तक चुपचाप सुरंग खोदी थी। उसने किसी तरह औजार जुटा लिए थे और एक तय तारीख को उसी सुरंग के जरिए जेल से निकलने की योजना बनाई थी। लेकिन जिस दिन वह भागने वाला था, उसी दिन जेल प्रशासन को उसकी साजिश का पता चल गया। कोट भलवाल जेल जम्मू क्षेत्र की एक बेहद सुरक्षित जेल मानी जाती है, जहां भारत के पकड़े गए कई खतरनाक और वांछित आतंकियों को रखा जाता रहा है।
पकड़े जाने के बाद मिली कड़ी सजा
मसूद अजहर ऑडियो में यह भी स्वीकार करता है कि सुरंग पकड़े जाने के बाद जेल प्रशासन ने उसे और अन्य आतंकियों को बुरी तरह पीटा। उसने कहा कि आज भी उसे उस पिटाई और जेल अधिकारियों का डर याद आता है। उसने बताया कि इसके बाद जेल में नियम बेहद सख्त कर दिए गए थे, उसे जंजीरों में बांधा गया, रोजमर्रा की गतिविधियों पर कड़ी पाबंदियां लगाई गईं और छोटी-छोटी गलती पर भी शारीरिक सजा दी जाती थी।
भारत के आरोपों की फिर पुष्टि
मसूद अजहर का यह कबूलनामा एक बार फिर भारत के उस रुख को मजबूत करता है, जिसमें वह लंबे समय से कहता आया है कि पाकिस्तान आतंकवाद को राज्य नीति की तरह इस्तेमाल करता है और भारत को परेशान करने के लिए आतंकियों को संरक्षण देता है।
फर्जी पहचान से भारत आया था मसूद अजहर
मसूद अजहर फरवरी 1994 में फर्जी नाम और पुर्तगाली पासपोर्ट के जरिए भारत आया था। उसका मकसद जम्मू-कश्मीर में जिहाद फैलाना और आतंकियों की भर्ती करना था। उसी साल उसे अनंतनाग से गिरफ्तार कर लिया गया। वह 1994 से 1999 तक जेल में बंद रहा। इस दौरान कई बार आतंकियों ने उसे छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन सभी नाकाम रहीं।
IC-814 हाईजैक के बाद रिहाई
दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के अपहरण के दौरान भारत सरकार ने यात्रियों की जान बचाने के लिए मसूद अजहर को रिहा किया था। रिहाई के बाद उसने जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन बनाया, जो आगे चलकर भारत में कई बड़े आतंकी हमलों का जिम्मेदार बना।
मसूद अजहर का नाम 2001 के संसद हमले, 2008 के मुंबई हमलों सहित कई आतंकी वारदातों से जुड़ा रहा है और वह आज भी भारत के सबसे वांछित आतंकियों में शामिल है।
ऑपरेशन सिंदूर में परिवार के कई सदस्य मारे गए
हाल ही में भारत ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में JeM आतंकियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या के जवाब में पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकानों पर क्रूज मिसाइल हमले किए, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया। मसूद अजहर के मुताबिक, इन हमलों में उसके परिवार के कम से कम 10 सदस्य मारे गए। इसके अलावा उसके चार बेहद करीबी आतंकी सहयोगी भी इस कार्रवाई में ढेर हो गए। भारत की इस सख्त सैन्य कार्रवाई के बाद मसूद अजहर ने खुद बयान जारी कर नुकसान की बात कबूल की थी।