Edited By rajesh kumar,Updated: 29 Jan, 2022 05:32 PM
वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण कामकाजी जीवन में आए अभूतपूर्व परिवर्तनों के बीच एक अध्ययन बताता है कि अब लोग दफ्तर जाने के बजाए घर पर रहते हुए ही काम करने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
नेशनल डेस्क: वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण कामकाजी जीवन में आए अभूतपूर्व परिवर्तनों के बीच एक अध्ययन बताता है कि अब लोग दफ्तर जाने के बजाए घर पर रहते हुए ही काम करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। रोजगार संबंधी वेबसाइट साइकी के ‘टेक टैलेंट आउटलुक' रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के कारण पहले तो कर्मचारियों पर दूर रहकर दफ्तर का काम करने की व्यवस्था थोपी गई थी लेकिन अब दो साल बाद 'वर्क फ्रॉम होम' अब 'नया चलन' बन गया है और नई आदतें लोगों की जिंदगी में अपनी जगह बना चुकी हैं।
इस अध्ययन में शामिल लोगों में से 82 फीसदी दफ्तर नहीं जाना चाहते और वे घर से ही काम करना चाहते हैं। टैलेंट टेक आउटलुक 2022 में चार महाद्वीपों में 100 से अधिक कार्यकारी अधिकारियों एवं मानव संसाधन अधिकारियों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया गया है। यह सर्वेक्षण सोशल मीडिया, साक्षात्कार और पैनल चर्चा के जरिये किया गया। अध्ययन में शामिल 64 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि घर से काम करने पर उनकी उत्पादन क्षमता अधिक रहती है और तनाव भी कम रहता है। इस बीच 80 फीसदी से अधिक मानव संसाधन प्रबंधकों ने कहा कि पूर्णकालिक रूप से दफ्तर जाकर काम करने वाले कर्मचारी खोजना अब उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है।
वहीं 67 फीसदी से अधिक कंपनियों ने भी कहा कि दफ्तर जाकर काम करने वाले लोग खोजना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है। बदले हुए माहौल में घर से काम करना अब विकल्प न रहकर नया चलन बन गया है और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करने वाले लोग अपने नियोक्ता से इसकी उम्मीद भी रखते हैं। जो नियोक्ता इस व्यवस्था को अपनाने को तैयार नहीं हैं उन्हें अच्छी प्रतिभाओं को साथ जोड़ने और पहले से काम कर रहे लोगों को अपने साथ बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। साइकी के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी करूणजीत कुमार धीर ने कहा, ‘‘दूरस्थ काम की दुनिया में स्वागत है।'' अध्ययन में कहा गया कि दूरस्थ काम करते हुए दो साल बीत जाने पर एक नए तरह का लचीलापन मिला है जो कर्मचारियों और नियोक्ता दोनों के ही लिए लाभदायक है।