Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Jan, 2021 12:30 PM
कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ शनिवार (16 जनवरी) को दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तहत भारत में फ्रंटलाइन पर काम करने वाले लगभग दो लाख स्वास्थ्यकर्मियों और सफाईकर्मियों को टीके की पहली खुराक दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वैक्सीनेशन का...
नेशनल डेस्क: कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ शनिवार (16 जनवरी) को दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तहत भारत में फ्रंटलाइन पर काम करने वाले लगभग दो लाख स्वास्थ्यकर्मियों और सफाईकर्मियों को टीके की पहली खुराक दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वैक्सीनेशन का शुभारंभ किया। वहीं भारत में करीब एक करोड़ लोगों के संक्रमित होने और 1,52,093 लोगों की मौत के बाद देश ने ‘कोविशील्ड' और ‘कोवैक्सीन' टीके के साथ महामारी को मात देने के लिए पहला कदम उठाया है और देशभर के स्वास्थ्य केंद्रों पर टीकाकरण किया गया। कोरोना की वैक्सीन को लेकर लोगों के दिलों-दिमाग में कई तरह के सवाल हैं। ऐसे में हम यहां कुछ ऐसे सवालों के जवाब दे रहे हैं जो आपके लिए जानने बेहद जरूरी हैं।
191181 स्वास्थ्यकर्मियों और सफाईकर्मियों को दी गई पहली खुराक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में टीकाकरण के पहले दिन 3,352 केंद्रों पर 1,91,181 स्वास्थ्यकर्मियों और सफाईकर्मियों को टीके की पहली खुराक दी गई। इस बीच, रात में खबर आई कि टीका लगने के बाद दिल्ली स्थित एम्स में एक गार्ड को एलर्जी होने और पश्चिम बंगाल में एक नर्स को बेहोश होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। अधिकारियों ने बताया कि कोलकाता में 35 वर्षीय एक नर्स कोविडशील्ड टीका लगने के बाद अचेत हो गई जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने कहा कि कई टीकों के बाद इस तरह की एलर्जी संबंधी दिक्कत हो जाती है और नर्स की हालत को लेकर अभी कुछ भी चिंताजनक नहीं है।
वहीं, राष्ट्रीय राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में शनिवार को एक गार्ड को कोवैक्सीन टीके की पहली खुराक लगाए जाने के बाद एलर्जी हो गई जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। AIIMS के निदेशक रणदीप गुलेरिया के अनुसार शाम चार बजे के बाद इस सुरक्षा गार्ड को टीका लगाया गया और उसके 15-20 मिनट बाद उसकी धड़कन बढ़ गई तथा उसके शरीर पर चकत्ते हो गए जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती किया गया।
इनको भी मिली दवा की पहली डोज
देश में टीकाकरण अभियान शुरू होने के पहले दिन स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ AIIMS दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया, नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल, भाजपा सांसद महेश शर्मा और पश्चिम बंगाल के मंत्री निर्मल माजी उन लोगों में शामिल रहे जिन्हें टीके की पहली खुराक दी गई। पॉल कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए चिकित्सा उपकरण एवं प्रबंधन को लेकर गठित अधिकार समूह के प्रमुख भी हैं।
राष्ट्र के नाम पीएम का संदेश
टीकाकरण अभियान की शुरुआत से पहले राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि टीके की दो खुराक लेनी बहुत जरूरी हैं और इन दोनों के बीच लगभग एक महीने का अंतर होना चाहिए। उन्होंने टीका लेने के बाद भी लोगों से कोरोना संबंधी सभी दिशा-निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया और ‘‘दवाई भी, कड़ाई भी'' का मंत्र दिया।
प्रधानमंत्री ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के ‘मेड इन इंडिया' टीकों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही इसके उपयोग की अनुमति दी गई है।
मोदी ने कहा कि टीका देश में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक जीत सुनिश्चित करेगा। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री उस वक्त भावुक हो गए जब उन्होंने कोरोना संक्रमण काल के दौरान लोगों को हुई तकलीफों, अपने प्रियजनों को खोने और यहां तक कि उनके अंतिम संस्कार तक में शामिल न हो पाने के दर्द का जिक्र किया।
रुंधे गले से प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों और संक्रमण के जोखिम की आशंका वाले मोर्चे पर तैनात कर्मचारियों की कुर्बानियों को याद किया जिनमें से सैकड़ों की संक्रमण की वजह से मौत हो गई।
बता दें कि कोविड-19 से बचाव के लिए टीके की खुराक सबसे पहले अनुमानित एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों को और इसके बाद दो करोड़ अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले कर्मियों को दी जाएगी। इसके बाद 50 साल से अधिक उम्र वालों एवं अन्य बीमारियों से ग्रस्त 27 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने की योजना है।