Edited By Rohini Oberoi,Updated: 12 Dec, 2025 01:04 PM

कैंसर जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो जिंदगी के लिए एक गंभीर खतरा बन जाता है। अब तक इसका पारंपरिक इलाज मुख्य रूप से कीमोथेरेपी और रेडिएशन से किया जाता रहा है जिनके साइड इफेक्ट्स (दुष्प्रभाव) काफी हानिकारक होते हैं लेकिन अब वैज्ञानिक एक ऐसा...
नेशनल डेस्क। कैंसर जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो जिंदगी के लिए एक गंभीर खतरा बन जाता है। अब तक इसका पारंपरिक इलाज मुख्य रूप से कीमोथेरेपी और रेडिएशन से किया जाता रहा है जिनके साइड इफेक्ट्स (दुष्प्रभाव) काफी हानिकारक होते हैं लेकिन अब वैज्ञानिक एक ऐसा क्रांतिकारी तरीका खोज रहे हैं जिससे शरीर के अपने इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को ही कैंसर से लड़ने के लिए 'ट्रेन' किया जा सके। यह शानदार विचार mRNA कैंसर वैक्सीन का आधार है जो ठीक उसी तकनीक पर काम करती है जिस पर COVID-19 वैक्सीन बनी थी।
कैसे काम करेगी यह नई कैंसर वैक्सीन?
Binghamton University के प्रोफेसर युआन वान और उनकी टीम इस तकनीक पर कई सालों से रिसर्च कर रही है। उनका मानना है कि अगर शरीर की इम्यून सिस्टम को ट्यूमर की सही पहचान करा दी जाए तो वह खुद ही कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए तैयार हो सकती है। जैसे COVID-19 वैक्सीन शरीर को वायरस का 'स्पाइक प्रोटीन' दिखाकर इम्यून सिस्टम को एक्टिव करती है।

ठीक उसी तरह mRNA कैंसर वैक्सीन भी शरीर की कैंसर कोशिकाओं को मजबूर करती है कि वे अपनी सतह पर वायरस जैसा दिखने वाला एक खास प्रोटीन (स्पाइक प्रोटीन) बनाएं। जैसे ही यह प्रोटीन कैंसर कोशिका पर दिखता है शरीर की इम्यून सिस्टम तुरंत अलर्ट हो जाती है और उन कैंसर कोशिकाओं को एक दुश्मन (विदेशी हमलावर) मानकर तेजी से खत्म करने लगती है।
ट्यूमर के बदलते रूप से भी निपटेगी टेक्नोलॉजी
कैंसर की एक बड़ी चुनौती यह है कि ट्यूमर लगातार अपना रूप (म्यूटेट) बदलते रहते हैं। इस बदलाव के कारण पुराने ट्रीटमेंट या वैक्सीन उनके नए रूपों पर बेअसर हो जाते थे लेकिन नई mRNA टेक्नोलॉजी इस समस्या को हल करती है। यह ट्यूमर को मजबूर करती है कि वह अपनी सतह पर हमेशा वही खास स्पाइक प्रोटीन दिखाए भले ही उसका बाकी रूप कितना भी बदल जाए। इससे इम्यून सिस्टम उसे हमेशा पहचान लेगी और हमला जारी रखेगी।

खास नैनोपार्टिकल्स: ट्यूमर को निशाना बनाना
रिसर्च टीम ने इस काम के लिए विशेष नैनोपार्टिकल्स (बहुत छोटे कण) विकसित किए हैं। ये नैनोपार्टिकल्स सीधे ट्यूमर की सतह से चिपक जाते हैं खासकर उन ट्यूमर्स से जिनमें HER2 प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है (यह प्रोटीन कई प्रकार के कैंसर में पाया जाता है)।
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ये नैनोपार्टिकल्स mRNA को सीधे ट्यूमर कोशिकाओं के अंदर पहुंचा देते हैं mRNA कैंसर सेल को स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देती है। जैसे ही यह प्रोटीन सतह पर आता है इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाती है और कैंसर सेल को नष्ट करने लगती है। COVID-19 महामारी के कारण हममें से लगभग सभी के शरीर में पहले से ही स्पाइक प्रोटीन की इम्यून मेमोरी मौजूद है। यानी कैंसर सेल जैसे ही यह प्रोटीन दिखाएगी शरीर की प्रतिक्रिया और भी तेज होगी जिससे कैंसर को तेज़ी से नष्ट किया जा सकेगा।

इलाज कब तक संभव?
अब तक के रिसर्च और ट्रायल के नतीजे काफी आशाजनक हैं लेकिन यह तकनीक अभी भी परीक्षण चरण (Testing Stage) में है। इसे आम इंसानों पर इस्तेमाल करने से पहले बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन (Manufacturing) और कड़े सुरक्षा मानकों की जांच (Safety Trials) करना आवश्यक होगा।
भविष्य की राह: मेडिकल साइंस में क्रांति
अगर यह तकनीक सफल होती है तो यह कैंसर के इलाज की दिशा ही बदल सकती है। इतना ही नहीं यह mRNA आधारित इलाज भविष्य में केवल कैंसर ही नहीं बल्कि कई अन्य गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए भी एक नई राह खोल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक आधुनिक मेडिकल साइंस की सबसे बड़ी क्रांतियों में से एक साबित हो सकती है।