10 ट्रेड यूनियनों की हड़ताल,बसों के पहिए थमे;रोकी रेल

Edited By ,Updated: 02 Sep, 2015 02:52 PM

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मजदूरों के लिए नीतियों में प्रस्तावित बदलाव का विरोध करते हए देश के मजदूर संगठन आज एक दिन की हड़ताल करेंगे।

नई दिल्लीः देश के दस प्रमुख ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर बुधवार को बुलाई हड़ताल का असर कई राज्योंं में सुबह से ही दिखने लगा है। हड़ताल के चलते दिल्ली में जहां 90 हजार ऑटो रिक्शा नहीं चल रहे हैं। वहीं हरियाणा में देर रात से ही रोडवेज बसोंं के पहिए जाम हैं।

राजस्थान मेेंं भी हड़ताल का असर नजर आने लगा है। रोडवेज बसें नहीं चलने यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, भाजपा से जुड़ी भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ  बैंक वर्कस (एनओबीडब्ल्यू) और नेशनल फ्रंट आफ  इंडियन ट्रेड यूनियंस इस हड़ताल में शामिल नहीं होगी। हालांकि रेलवे पर हड़ताल का असर होता नहीं दिख रहा है। वहीं उत्तराखंड में हड़ताल को लेकर हरिद्वार स्थित बीएचईएल (भेल) में हंगामे, मारपीट और एक दूसरे के कपड़े फाड़ने की खबर आ रही है।

धनबाद में रोकी रेल

देशव्यापी हड़ताल का कोयलांचल-संथाल में व्यापक असर देखने को मिल रहा है। कोयला उद्योग पर सबसे अधिक असर हुआ है। बीसीसीएल की खदानों में उत्पादन ठप हो गया है। बैंक और बीमा कार्यालय में भी काम नहीं होने की खबर है। सुबह से ही बंद समर्थक सड़कों पर उतर गए हैं। धनबाद में माले समर्थकों ने पहाड़ीगोड़ा के पास स्वर्णरेखा एक्सप्रेस ट्रेन को रोका। सुबह 7 बजे के बाद से दुमका-देवघर छोड़ कर सभी रूट पर बस सेवा ठप है।  हड़ताल में शामिल होने वाले दस यूनियनों का दावा है कि सरकारी और निजी क्षेत्र में उनके सदस्यों की संख्या 15 करोड़ है। इनमें बैंक और बीमा कंपनियां भी शामिल हैं। मंत्रियों के समूह के साथ बैठक का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद यूनियनों ने हड़ताल का फैसला लिया है।  

यूनियनों की 12 सूत्रीय मांगें

इससे पहले, 12 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 12 सूत्रीय मांगों के समर्थन में हड़ताल का आहवान किया था। उनकी मांगों में श्रम कानून में प्रस्तावित श्रमिक विरोधी संशोधन को वापस लेना और सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश व निजीकरण रोकना शामिल है। इसके अलावा यूनियनों की मांग है कि न्यूनतम वेतन 15 हजार रुपए किया जाए। आल इंडिया ट्रेड यूनियन के सचिव डीएल सचदेव ने कहा कि मांगों के समर्थन में श्रम मंत्री को पत्र भी लिखा गया है। हम सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए दस ट्रेड यूनियन और 40 स्टेट यूनियन हड़ताल पर रहेंगी। उन्होंने दावा किया यह 2013 की हड़ताल से भी बड़ी हड़ताल साबित होगी।

दो यूनियन हड़ताल से हटीं 

बीएमएस और नैशनल फ्रंट आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस बाद में इस हडत़ाल से हट गई। इन संगठनों का कहना है कि सरकार ने कुछ प्रमुख मांगों को पूरा करने का जो आश्वासन दिया है, उसके लिए उसे समय दिया जाना चाहिए। बीएमएस के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने कहा, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के सदस्य कई सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हड़ताल पर नहीं जा रहे हैं। 

एनटीपीसी, एनएचपीसी और पावर ग्रिड जैसे पीएसयू हड़ताल पर नहीं रहेंगे। ऐसे में बिजली और तेल एवं गैस आपूर्ति सेवाएं प्रभावित नहीं होंगी। बीएमएस से जुड़ी नेशनल ऑर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) ने भी बुधवार की हड़ताल में शामिल नहीं होने का निर्णय किया है।

कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य

पश्चिम बंगाल सरकार ने राष्ट्रीय मजदूर संगठन की देशव्यापी हड़ताल के दौरान अपने कर्मचारियों की उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया है। देशभर में मजदूरों की हड़ताल को देखते हुए राज्य के वित्त विभाग ने एक परिपत्र जारी किया है, जिसमें राज्य सरकार के कर्मचारियों को कार्यालय आने का आदेश दिया गया है। परिपत्र के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी हड़ताल के दौरान अनुपस्थित रहता है तो उसका वेतन काट लिया जाएगा।

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