Edited By Anil dev,Updated: 14 Sep, 2020 03:14 PM

1991 के बलवंत सिंह मुलतानी अपहरण और हत्या मामले में नामजद पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी को गिरफ्तार करने में असफल रहने पर पंजाब पुलिस के खिलाफ शांतिपूर्ण रोष प्रदर्शन ''जागो'' पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके के
नई दिल्ली:1991 के बलवंत सिंह मुलतानी अपहरण और हत्या मामले में नामजद पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी को गिरफ्तार करने में असफल रहने पर पंजाब पुलिस के खिलाफ शांतिपूर्ण रोष प्रदर्शन 'जागो' पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके के नेतृत्व में सिख संगतों के द्वारा किया गया। पंजाब भवन की ओर कूच करने के लिए सिख संगतों ने प्रदर्शन की शुरुआत मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन के पास स्थित बाबा बंदा सिंह बहादर की प्रतिमा से करनी की थी। पर पुलिस के उच्च अधिकारियों ने धारा 144 लगी होने तथा कोविड की महामारी का हवाला देते हुए संगतों को मंडी हाउस से मार्च निकालने की मंजूरी नहीं दी।जिसके बाद संगतों ने सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए मंडी हाउस बस स्टाप के नीचे मानव श्रृंखला बना ली और सैनी की गिरफ्तारी के लिए जोरदार नारेबाजी की।
पुलिस की लगातार चेतावनीयों के बाद जीके ने प्रदर्शन समाप्त करने का ऐलान किया।हाथों में तख्तियाँ व बैनर पकड़े प्रदर्शनकारी सैनी की गिरफ्तारी की माँग कर रहें थे।प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए जीके ने कहा कि मोहाली कोर्ट ने सैनी की गिरफ्तारी के लिए गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है। साथ ही पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सैनी को इस मामले में जमानत देने से इंकार कर दिया है। पर हैरानी की बात है कि जैड सुरक्षा प्राप्त सैनी पंजाब पुलिस की नाक के नीचे से फरार हो जाता है। जीके ने अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर सैनी को बचाने का आरोप लगाया। जीके ने कैप्टन- सुखबीर को चाचा-भतीजे की संज्ञा देते हुए दोनों की सैनी से दोस्ती होने का दावा किया। जीके ने कहा कि 14 मार्च 2012 को प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ चप्पड़चिड़ी के ऐतिहासिक जंग के मैदान में लेने के बाद सबसे पहला काम सैनी को वरिष्ठ 5 पुलिस अधिकारियों को दरकिनार करके डीजीपी लगाने का किया था।
12 मई 1710 को बाबा बंदा सिंह बहादर ने इसी सरजमीं पर सरहिंद के सूबेदार वजीर खान को मौत के घाट उतारा था। उसके बाद सरहिंद फतेह करके पहले खालसा राज्य की स्थापना की थी। लेकिन नौजवान सिखों पर अत्याचार करने वाले सैनी को बादलों ने अपना डीजीपी बनाकर शहीदों के खून का मजाक उड़ाया था और बादलों ने बंदा सिंह बहादर की जगह साहिबजादों को शहीद करने वाले वजीर खान की सोच को अपना जरनैल बनाया था। 2015 में इसी सैनी के आदेश पर बादल सरकार के समय बहबलकलां में 2 निर्दोष और निहत्थे सिख नौजवान पुलिस की गोली से मारे जाते है, क्योंकि वो गुरु ग्रंथ साहिब की बरगाड़ी में हुई बेअदबी का शांतिपूर्ण इंसाफ माँग रहें थे। इसलिए हम बादल और कैप्टन पर सैनी को बचाने का आरोप लगा रहें है।