राजनाथ ने थल सेना के शीर्ष कमांडरों से कहा, देश के सामने आने वाली हर सुरक्षा चुनौती के लिए रहे तैयार

Edited By rajesh kumar,Updated: 21 Apr, 2022 06:39 PM

be ready for every security challenge that the country will face

रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को थल सेना के शीर्ष कमांडरों से कहा कि वे भविष्य में भारत के सामने आने वाली हर संभव सुरक्षा चुनौती के लिए तैयार रहें जिनमें गैर-पारंपरिक युद्ध भी शामिल हैं।

नेशनल डेस्क: रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को थल सेना के शीर्ष कमांडरों से कहा कि वे भविष्य में भारत के सामने आने वाली हर संभव सुरक्षा चुनौती के लिए तैयार रहें जिनमें गैर-पारंपरिक युद्ध भी शामिल हैं। सिंह ने सोमवार को शुरू हुए थल सेना कमांडरों के सम्मेलन में यह टिप्पणी की। रक्षा मंत्री सिंह ने किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए सेना की परिचालन संबंधी तत्परता के लिए उसकी सराहना भी की।

कमांडरों ने चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों की व्यापक समीक्षा की और इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्र के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध के संभावित भू-राजनीतिक प्रभावों का आकलन किया। सिंह ने ट्वीट किया, "सेना के कमांडरों के सम्मेलन को आज संबोधित किया। भारतीय सेना की उनकी परिचालन संबंधी तैयारियों और क्षमताओं के लिए सराहना दी। भविष्य में हर संभव चुनौती के लिए तैयार रहने का सैन्य नेतृत्व से आह्वान किया जिसमें गैर-पारंपरिक युद्ध की चुनौती भी शामिल है।"

थल सेना ने कहा कि रक्षा मंत्री सिंह ने देश के लिए "निस्वार्थ" सेवा और स्वदेशीकरण के जरिए आधुनिकीकरण की दिशा में इसके अथक प्रयासों के लिए बल की सराहना की। पांच दिवसीय इस सम्मेलन का समापन शुक्रवार को होगा। सैन्य कमांडरों का सम्मेलन एक शीर्ष स्तरीय कार्यक्रम है जो हर साल अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है। यह सम्मेलन वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श के लिए संस्थागत मंच है और इससे भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलती है। अधिकारियों ने बताया कि यूक्रेन में युद्ध का क्षेत्रीय सुरक्षा पर संभावित प्रभावों के साथ ही संघर्ष के विभिन्न सैन्य पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।

उन्होंने कहा कि सैन्य कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कुछ स्थानों पर चीन के साथ जारी सैन्य गतिरोध के मद्देनजर 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर देश की सैन्य तैयारियों की व्यापक समीक्षा की। अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान के साथ ही केंद्रशासित प्रदेश की समग्र स्थिति पर भी सम्मेलन में व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया गया। कमांडरों ने एलएसी के साथ बुनियादी ढांचे के विकास के संबंध में चर्चा की। सीमा से लगे प्रमुख क्षेत्रों में चीन द्वारा नए पुलों, सड़कों और बुनियादी संरचनाओं के निर्माण के मद्देनजर भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास पर जोर दे रहा है।

 

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