Bihar: साल में सिर्फ 15 दिन ही रुकती हैं इस स्टेशन पर ट्रेन, हैरान कर देगा इसके पीछे की वजह

Edited By Updated: 11 Sep, 2025 10:43 PM

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बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन साल में केवल पितृपक्ष के 15 दिनों (7 से 21 सितंबर) में ही सक्रिय रहता है, जब श्रद्धालु पुनपुन नदी में प्रथम श्राद्ध के लिए आते हैं। स्टेशन पर टिकट काउंटर नहीं है और बुनियादी सुविधाओं की...

नेशनल डेस्क : बिहार के हजारों रेलवे स्टेशनों में एक स्टेशन ऐसा है जो अपनी अनोखी विशेषता के लिए जाना जाता है। औरंगाबाद जिले में स्थित अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन पर पूरे साल में केवल 15 दिन ही ट्रेनें रुकती हैं। बाकी समय यह स्टेशन वीरान रहता है और ट्रेनें फर्राटा भरते हुए निकल जाती हैं। हैरानी की बात यह है कि इस स्टेशन पर एक भी टिकट काउंटर नहीं है।

पितृपक्ष में ही क्यों रुकती हैं ट्रेनें?
अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन, अनुग्रह नारायण रोड स्टेशन से महज 1.5 किलोमीटर पहले पुनपुन नदी के तट पर स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गया में पिंडदान से पहले पुनपुन नदी में प्रथम श्राद्ध करना आवश्यक है। यही कारण है कि पितृपक्ष के दौरान, जो इस साल 7 सितंबर से 21 सितंबर तक चल रहा है, इस स्टेशन पर 8 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव होता है। हालांकि, कोई भी एक्सप्रेस ट्रेन यहां नहीं रुकती।

अंग्रेजों ने बनाया था स्टेशन
यह स्टेशन पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (मुगलसराय) और गया के बीच ग्रैंड कॉर्ड लाइन (मुंबई-कोलकाता मार्ग) पर पड़ता है। ब्रिटिश शासनकाल में इस स्टेशन का निर्माण विशेष रूप से इसलिए किया गया था ताकि गया जाने वाले श्रद्धालु पुनपुन नदी में प्रथम श्राद्ध कर सकें। पितृपक्ष के दौरान देश-विदेश से पिंडदानी इस स्टेशन पर उतरते हैं, जिससे यह कुछ दिनों के लिए गुलजार हो उठता है।

टिकट काउंटर नहीं, फिर भी सफर
इस स्टेशन की एक और खासियत यह है कि यहां टिकट काउंटर की सुविधा नहीं है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से आने वाले यात्री गया का टिकट खरीदते हैं और इस स्टेशन पर उतरकर पुनपुन नदी में श्राद्ध कर्म पूरा करने के बाद उसी टिकट से गया के लिए दूसरी ट्रेन पकड़ लेते हैं।

अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन की स्थिति बेहद खराब है। यहां बुनियादी सुविधाओं जैसे शौचालय, पीने का पानी, और बैठने की व्यवस्था का अभाव है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि चूंकि यह स्टेशन साल में केवल 15 दिन ही सक्रिय रहता है, इसलिए यहां सुविधाएं विकसित करना चुनौतीपूर्ण है। फिर भी, स्थानीय लोग और श्रद्धालु मांग करते हैं कि इस धार्मिक महत्व के स्टेशन पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।

पितृपक्ष में बढ़ी रौनक
पितृपक्ष के दौरान यह स्टेशन श्रद्धालुओं से भर जाता है। पुनपुन नदी के घाट पर स्नान और श्राद्ध कर्म करने वाले लोग देश के कोने-कोने से यहां पहुंचते हैं। रेलवे ने इस अवधि के लिए विशेष व्यवस्था की है, जिसमें ट्रेनों का ठहराव और सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है। पितृपक्ष हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण का विशेष समय माना जाता है। गया और पुनपुन नदी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पुनपुन नदी में श्राद्ध करने की परंपरा के कारण अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन पितृपक्ष में एक महत्वपूर्ण पड़ाव बन जाता है।

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस स्टेशन की अनोखी परंपरा और धार्मिक महत्व इसे बिहार के रेलवे नेटवर्क में खास बनाता है। हालांकि, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्टेशन के उन्नयन की मांग लंबे समय से उठ रही है।

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