मोदी मैजिक के सहारे भाजपा

Edited By Updated: 05 Apr, 2018 10:46 AM

bjp with modi magic

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का मुकाबला करने के लिए भाजपा एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे का सहारा लेगी। पार्टी की तरफ से मई में होने जा रहे कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी की 15 रैलियां करवाने की योजना बनाई गई है।...

जालंधर (नरेश कुमार): कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का मुकाबला करने के लिए भाजपा एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे का सहारा लेगी। पार्टी की तरफ से मई में होने जा रहे कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी की 15 रैलियां करवाने की योजना बनाई गई है। नरेंद्र मोदी के चेहरे के दम पर ही भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव दौरान राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 17 सीटों पर जीत प्राप्त की थी, लिहाजा पार्टी को लग रहा है कि मोदी का करिश्मा गैर-भाजपा शासित इस राज्य में विधानसभा चुनाव दौरान भी काम कर सकता है। भाजपा के प्रचार की रणनीति बना रहे एक सीनियर नेता का कहना है कि कर्नाटक के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनना चाहते हैं और प्रधानमंत्री की रैली के स्थानों व तरीकों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

हम प्रधानमंत्री की कर्नाटक में 15 के करीब रैलियां करने की योजना बना रहे हैं। यदि पार्टी को कुछ महसूस हुआ तो रैलियों की संख्या बढ़ा कर 20 भी की जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 15 दिन में मैसूर और दिवांगरी में 2 रैलियां कर चुके हैं। इन रैलियों में उन्होंने किसानों की भलाई के साथ जुड़े मुद्दे उठाने के अलावा कांग्रेस पर तीखे हमले बोले थे और राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को आड़े हाथों लिया था। कर्नाटक भाजपा के लिए राजनीतिक तौर पर इसलिए अहमियत रखता है क्योंकि यह दक्षिण भारत का अकेला राज्य है जहां भाजपा सत्ता में रह चुकी है। भाजपा को 2008 में मिली जीत के बाद बी.एस. येद्दियुरप्पा मुख्यमंत्री बनाए गए थे।

कर्नाटक में कांग्रेस के लिए चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि राज्य में पार्टी की सरकार है और सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल का भी पार्टी को नुक्सान हो सकता है। पिछले 4 साल में कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश और केरल में सत्ता गंवाई है तथा अब उसे कर्नाटक में भी भाजपा से चुनौती मिल रही है। पंजाब के बाद कर्नाटक ही ऐसा बड़ा राज्य बचा है जहां कांग्रेस की सरकार है और कर्नाटक के रास्ते ही कांग्रेस देशभर में हो रही भाजपा की जीत का रथ रोकना चाहती है। कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने वाले समय में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी जंग की शुरूआत कर देंगे। इन चुनाव नतीजों का सीधा प्रभाव इस साल के अंत में होने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों पर भी पड़ेगा।

भाजपा ने 60 सांसदों की डयूटी लगाई
प्रधानमंत्री प्रचार के अलावा भाजपा के कर्नाटक में प्रचार के लिए 60 लोकसभा सदस्यों की ड्यूटी लगाई जा रही है। भाजपा के ये लोकसभा सदस्य अलग-अलग राज्यों से कर्नाटक में भेजे जाएंगे और हर लोकसभा सदस्य की 4 विधानसभा सीटों पर ड्यूटी लगाई जाएगी। इन सभी लोकसभा सदस्यों की ओर से किए जा रहे काम की पार्टी निगरानी रखेगी और यदि निगरानी दौरान प्रचार में कोई कमी पाई गई तो उसमें सुधार किया जाएगा। इन 60 लोकसभा सदस्यों को पार्टी के कर्नाटक वाले 17 लोकसभा सदस्य सहयोग करेंगे और उनके साथ मिलकर प्रचार भी करेंगे।

कर्नाटक में 2014 के नतीजे दोहराने की चुनौती
कर्नाटक 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से भाजपा के लिए अहमियत रखता है। दक्षिण भारत के 5 राज्यों में पिछले चुनाव के दौरान भाजपा को 21 सीटें प्राप्त हुई थीं जिनमें से 17 सीटें कर्नाटक में ही हासिल हुई थीं और पार्टी के सामने 2019 में भी 2014 के नतीजे दोहराने की चुनौती है। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से मिली करारी टक्कर के बाद कर्नाटक दूसरा ऐसा राज्य है जहां दोनों पार्टियां आमने-सामने हैं। कांग्रेस कर्नाटक में 2013 के नतीजे दोहराने की कोशिश कर रही है जबकि भाजपा इस सीधी लड़ाई में माइक्रो मैनेजमैंट के जरिए सत्ता में आने की लड़ाई लड़ रही है।

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