Edited By rajesh kumar,Updated: 24 Feb, 2021 06:59 PM
बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि पुडुचेरी में सत्तारूढ़ दल के कुछ विधायकों के पार्टी से अलग होने के बाद नारायणसामी नीत सरकार ने इस्तीफा दे दिया था।
नेशलन डेस्क: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसी सप्ताह विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान से पहले मुख्यमंत्री नारायणसामी ने इस्तीफा दे दिया था और केंद्र शासित प्रदेश की कांग्रेस नीत सरकार गिर गई थी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय प्रस्ताव को मंजूरी दी गई ।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी इस प्रस्ताव को मंजूरी
बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि पुडुचेरी में सत्तारूढ़ दल के कुछ विधायकों के पार्टी से अलग होने के बाद नारायणसामी नीत सरकार ने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने के बाद किसी ने भी सरकार गठन का दावा पेश नहीं किया। इसके बाद उपराज्यपाल ने पुडुचेरी में विधानसभा भंग करने की सिफारिश की। जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद विधानसभा भंग हो जायेगी।
जल्द जारी होंगी विधानसभा चुनाव की तिथियों
उन्होंने बताया कि पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा आने वाले दिनों में होने की उम्मीद है और इसके बाद आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जायेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पुडुचेरी में प्रशासनिक कामकाज के संबंध में जरूरी कदम जल्द उठाये जायेंगे। गौरतलब है कि पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने सोमवार को विश्वासमत पेश किए जाने के बाद मत विभाजन से पूर्व उप राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन को अपने इस्तीफा सौंप दिये।
जानें क्या कहना है नारायणसामी का
विधानसभा में पेश किए गए विश्वासमत प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री राजनिवास पहुंचे और उप राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा। वहीं, वी नारायणसामी ने बुधवार को कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को भाजपा, एआईएनआरसी और अन्नाद्रमुक गठबंधन को समर्थन नहीं देना चाहिए क्योंकि इन दलों को, संघ शासित प्रदेश का तमिलनाडु में विलय करने में कोई हिचक नहीं होगी।