नेपाल के सियासी घमासान में PM ओली को बचाने कूदी चीनी राजदूत, मच गया बवाल

Edited By Tanuja,Updated: 07 Jul, 2020 06:49 PM

chinese ambassador trying to save oli controversy escalated

चीन के उकसावे में आकर लगातार भारत विरोधी फैसले लेकर नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी खतरे में पड़ गई हूै...

काठमांडूः चीन के उकसावे में आकर लगातार भारत विरोधी फैसले लेकर नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी खतरे में पड़ गई हूै। नेपाल में  बढ़े  सियासी घमासान से चीन की टेंशन बढञ गई है। दरअसल नेपाल को मोहरा बनाकर चीन  प्रधानमंत्री ओली से भारत के खिलाफ अपने निजी हितों को पूरा करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन चीन की वजह से ओली का उनके देश में ही विरोध हो रहा है और उनकी अपनी पार्टी के कई सांसदों ने ओली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।  ऐसे में ओली  को बचाने के लिए चीनी राजदूत हाओ यांकी ने अभियान छेड़ दिया है जिससे नेपाल के अंदर ही उनका जोरदार विरोध शुरू हो गया है। 

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चीनी राजदूत के इस कदम को नेपाल की आंतरिक राजनीति में हस्‍तक्षेप माना जा रहा है और कई पूर्व राजनयिकों और राजनेताओं ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। नेपाली अखबार काठमांडू पोस्‍ट के मुताबिक पिछले एक सप्‍ताह में हाओ ने राष्‍ट्रपति बिद्या भंडारी, नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के वरिष्‍ठ नेता माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनल से मुलाकात की। वह भी तब जब पीएम ओली पर इस्‍तीफा देने के ल‍िए दबाव बढ़ता ही जा रहा है। बताया जा रहा है कि पुष्‍प कमल दहल प्रचंड, झालानाथ खनल समेत नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के 44 में से 30 सदस्‍यों ने 30 जून को ओली को पीएम पद और पार्टी अध्‍यक्ष के पद से इस्‍तीफा देने के लिए कहा था।

 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गत 3 जून को चीनी राजदूत ने राष्‍ट्रपति बिद्या भंडारी से 'शिष्‍टाचार' मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद चीनी राजदूत और ज्‍यादा सवालों के घेरे में आ गईं। यही नहीं नेपाली विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि चीनी राजदूत के मामले में राष्‍ट्रपति राजनयिक आचार संहिता का उल्‍लंघन कर रही हैं। नेपाली राष्‍ट्रपति इन दिनों खुद ही अपनी पार्टी में विवादों में चल रही हैं। विद्या भंडारी को प्रचंड बनाम ओली की इस लड़ाई में ओली का समर्थक माना जाता है। गुरुवार को पीएम ओली से मुलाकात के बाद राष्‍ट्रपति ने संसद के बेहद सत्र को ही खत्‍म कर दिया। यही नहीं ओली अपने विरोधियों के खिलाफ लड़ाई की मुद्रा में आ गए।

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आलम यह रहा है कि नेपाली राष्‍ट्रपति के कार्यालय में तैनात विदेश मंत्रालय के अवर सचिव को भी इस मुलाकात के बारे में कुछ नहीं बताया गया जबकि संवैधानिक रूप से ऐसा बताना जरूरी होता है। नियम यह भी है कि ऐसी मुलाकात के दौरान विदेश मंत्रालय के अध‍िकारी मौजूद रहें लेकिन उन्‍हें कोई सूचना ही नहीं दी गई। राष्‍ट्रपति और चीनी राजदूत के बीच क्‍या बातचीत हुई इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है।
 
 
हालांकि नेपाल में मचे सियासी घमासान को लेकर पीएम ओली सीधे तौर पर भारत पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही एक कार्यक्रम में भारत के ऊपर अपनी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। वहीं, खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नेपाली पीएम देश में चीन की राजदूत हाओ यांकी के इशारे पर भारत विरोधी सभी कदम उठा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि नेपाल के नक्शे को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए चीनी राजदूत ने प्रधानमंत्री ओली को प्रेरित करने का काम किया है।

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खुफिया सूत्रों ने कहा कि हिमालयी गणराज्य नेपाल में युवा चीनी राजदूत होउ यानकी नेपाल की सीमा को फिर से परिभाषित किए जाने के लिए कॉमरेड ओली के कदम के पीछे एक प्रेरणादायक कारक रही हैं। यानी नेपाल जो भारत के कालापानी और लिपुलेख को अपने नक्शे में दर्शा रहा है, उसके पीछे चीनी राजदूत की ही कूटनीति और दिमाग काम कर रहा है।पाकिस्तान में 3 साल तक काम कर चुकीं होउ का ओली के कार्यालय और निवास में अक्‍सर आना-जाना लगा रहता है।

 

इसके अलावा नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी का वह प्रतिनिधिमंडल, जो राजनीतिक मानचित्र को बदलने के लिए संविधान संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार करने में सहायता कर रहा था, वह चीनी राजदूत के संपर्क में था। चीन के विदेश नीति के रणनीतिकारों के इशारे पर काम कर रही युवा चीनी राजदूत को नेपाल में सबसे शक्तिशाली विदेशी राजनयिकों में से एक माना जाता है। एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान में सेवा करने के अलावा, वह चीन के विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के विभाग में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रही थीं। यही नहीं बताया जा रहा है कि चीनी राजदूत कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के आंतरिक मतभेदों को दूर करने में भी लगी हुई हैं।  

  

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