Edited By Pardeep,Updated: 05 Aug, 2025 09:45 PM

5 अगस्त 2025 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली (गंगोत्री धाम के पास) गांव में एक सघन cloudburst (बादल फटना) हुआ। इस तेज और अचानक हुई अतिवृष्टि ने खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भयंकर flash floods और भूस्खलन को जन्म दिया, जिससे गांव...
नेशनल डेस्कः 5 अगस्त 2025 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली (गंगोत्री धाम के पास) गांव में एक सघन cloudburst (बादल फटना) हुआ। इस तेज और अचानक हुई अतिवृष्टि ने खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भयंकर flash floods और भूस्खलन को जन्म दिया, जिससे गांव बहु‑भूमिगत और भयावह स्थिति में तब्दील हो गया।
मानव व जानमाल हानि:
प्राथमिक जानकारी के अनुसार, कम से कम 4 लोगों की मौत हुई है और 50 से अधिक लोग लापता हैं। अनुमान है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। लगभग 10‑15 मकान बह गए, लगभग दस लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।
बुनियादी संरचना को क्षति:
कई घर, होटल, दुकानें और सड़कें अत्यधिक जलप्रवाह व मलबे के साथ बहा दिए गए। कुछ पुल तो पूरी तरह टूट गए जिससे बाहरी दुनिया से संपर्क कट गया। स्थानीय बाजार और लगभग 12‑25 छोटे होमस्टे/होटल भी बह गए।
राहत और बचाव कार्य:
SDRF, NDRF, स्थानीय पुलिस, जिला प्रशासन और भारतीय सेना एवं ITBP जवान राहत-बचाव कार्य में लगे हुए हैं। 3 हेलिकॉप्टर कार्यक्रम में तैनात किए गए हैं ताकि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी बचाव कार्य तेज़ी से किया जा सके।
केंद्र और राज्य सरकार की तत्काल निगरानी में राहत एवं पुनर्वास कार्य जारी है।
सरकारी आदेश व पूर्वसावधानी:
इस आपदा के मद्देनज़र, प्रशासन ने 6 अगस्त 2025 (गुरुवार) को जिले में संचालित सभी सरकारी, निजी विद्यालय (कक्षा 1 से 12 तक) और सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में अवकाश घोषित किया है। आदेश “तत्काल पालन सुनिश्चित करने” के साथ जारी किया गया है।
मौसम विभाग से चेतावनी:
मौसम विभाग ने अगले चार दिनों तक उत्तरकाशी में लगातार भारी बारिश की चेतावनी दी है।
पिछले व ऐतिहासिक घटनाएं:
– उत्तरकाशी और आसपास वाले क्षेत्रों में यह घटनाएँ नई नहीं हैं। रस्मी रिकॉर्ड बताते हैं कि 1978, 1984, 1991, 2003, 2013, 2019 जैसी भीषण आपदाएं आई थीं, जिनमें हजारों लोग प्रभावित हुए।
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2013 के केदारनाथ बाढ़ में 6,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
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2021 में ऋषि गंगा ग्लेशियर टूटने पर 125 लोग लापता और 9 की मृत्यु हुई थी।
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जून 2025 में बड़कोट‑यमुनोत्री मार्ग पर एक निर्माण स्थल पर बादल फटने से कई मजदूर मलबे में दब गए थे।