Edited By Pardeep,Updated: 28 Dec, 2022 10:52 PM

केंद्र के वायु गुणवत्ता आयोग ने बुधवार को कहा कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कोयला और अन्य प्रतिबंधित ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों को एक जनवरी से बंद किया जाएगा और उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि, बिजलीघरों में कम सल्फर वाले कोयले...
नई दिल्लीः केंद्र के वायु गुणवत्ता आयोग ने बुधवार को कहा कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कोयला और अन्य प्रतिबंधित ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों को एक जनवरी से बंद किया जाएगा और उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि, बिजलीघरों में कम सल्फर वाले कोयले के उपयोग की अनुमति होगी।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरणो को निर्देश दिया गया है कि वे कोयला समेत बिना मंजूरी वाले ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को बिना कोई कारण बताओ नोटिस दिये बंद करें।'' उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशानिर्देश के तहत उनसे अधिकतम जुर्माना लिया जाएगा।
अधिकारी ने साफ किया कि निजी उपयोग वाले बिजलीघरों को कम सल्फर वाले कोयले के उपयोग की अनुमति होगी। इसका उपयोग बिजली उत्पादन में किया जा सकता है। लकड़ी और जैव ईंधन का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों और दाह संस्कार के लिए किया जा सकता है। लकड़ी या बांस के चारकोल का उपयोग होटल, रेस्तरां, बैंक्वेट हॉल (उत्सर्जन नियंत्रण प्रणाली के साथ) और खुले भोजनालयों या ढाबों में किया जा सकता है। कपड़ा प्रेस करने के लिए लकड़ी के चारकोल के उपयोग की अनुमति है।
आयोग ने इस साल जून में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में एक जनवरी, 2023 से उद्योग, घरेलू और अन्य विविध कार्यों में कोयले के उपयोग पर पाबंदी लगाने का निर्देश दिया था। एक अनुमान के अनुसार, दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों (एनसीआर) में विभिन्न औद्योगिक कार्यों में सालाना लगभग 17 लाख टन कोयले का उपयोग होता है। इसमें 14 लाख टन का उपयोग छह बड़े औद्योगिक जिलों में हो रहा है।