Edited By Mahima,Updated: 08 May, 2024 10:48 AM
एक हालिया शोध के मुताबिक अच्छे खान-पान और व्यायाम को जीवन में अपनाने से जल्द मृत्यु के आनुवांशिक जोखिम को 62 फीसदी तक कम किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि माता-पिता या पूर्वजों से मिलने वाले किसी बीमारी के जीन शीघ्र मृत्यु के जोखिम के लिए...
नेशनल डेस्क: एक हालिया शोध के मुताबिक अच्छे खान-पान और व्यायाम को जीवन में अपनाने से जल्द मृत्यु के आनुवांशिक जोखिम को 62 फीसदी तक कम किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि माता-पिता या पूर्वजों से मिलने वाले किसी बीमारी के जीन शीघ्र मृत्यु के जोखिम के लिए जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में यह तय है कि आनुवांशिक रूप से मिली बीमारियां हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, जिससे जल्दी मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। यह शोध विज्ञान पत्रिका बीएमजे एविडेंस- बेस्ड मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। शोध के मुताबिक पिछले कई शोधों से स्पष्ट है कि हमारे दादा-दादी और माता- चुकी कोई बीमारी या उनके आहार की आदतें दशकों बाद हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
3.50 हजार से अधिक लोगों पर अध्ययन
यूरोपीय मूल के 3.50 हजार से अधिक लोगों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि स्वस्थ जीवनशैली का विकल्प कम उम्र में मरने के आनुवंशिक जोखिम को 62 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। इन्हें वर्ष 2006 से 2010 तक यूके बायोबैंक अध्ययन केंद्र में भर्ती किया गया था और लगभग 13 वर्षों तक इन लोगों के स्वास्थ्य डाटा पर नजर रखी गई। जानकारी के अनुसार, हमारा अध्ययन आनुवंशिक जोखिम और जीवनशैली के संयुक्त संबंध की जांच करने वाला पहला अध्ययन है। यह अध्ययन आनुवंशिक जोखिम और जीवनशैली कारकों के आयु पर पड़ने वाले प्रभाव की तुलना एक साथ कर सकता है।
आनुवंशिक से शीघ्र मृत्यु के जोखिम को 21 फीसदी
शोधकर्ताओं ने पाया कि अकेले आनुवंशिक रूप से मिली बीमारी ही शीघ्र मृत्यु के जोखिम को 21 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। जबकि नींद कम लेने, व्यायाम न करने, प्रोसेस्ड फूड का सेवन करने, सिगरेट और शराब जैसी आदतों वाली जीवनशैली इस जोखिम को बढ़ाकर 78 फीसदी तक बढ़ा सकती है। शोध में पाया गया कि अस्वस्थ जीवनशैली वाले ऐसे लोगों में स्वस्थ जीवनशैली अपनाने वालों की तुलना में जल्दी मरने का आनुवांशिक जोखिम दो गुना ज्यादा था। जबकि स्वस्थ जीवन शैली जैसे धूम्रपान न करने, नियमित रूप से व्यायाम करने, पौष्टिक भोजन और पर्याप्त नींद लेने वालों में यह जोखिम 62 फीसदी तक कम पाया गया।