विचारों की अभिव्यक्ति किसी उम्मीदवार को संवैधानिक पद पर आसीन होने से वंचित नहीं करती: कॉलेजियम

Edited By Parveen Kumar,Updated: 19 Jan, 2023 10:05 PM

does not debar a candidate from holding a constitutional office

उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने कहा है कि न्यायपालिका के लिए प्रस्तावित उम्मीदवार द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति उसे तब तक संवैधानिक पद पर आसीन होने से वंचित नहीं करती है जब तक कि उसके पास योग्यता और सत्यनिष्ठा है।

नेशनल डेस्क : उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने कहा है कि न्यायपालिका के लिए प्रस्तावित उम्मीदवार द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति उसे तब तक संवैधानिक पद पर आसीन होने से वंचित नहीं करती है जब तक कि उसके पास योग्यता और सत्यनिष्ठा है। देश के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय कॉलेजियम में न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ भी शामिल हैं। कॉलेजियम ने कहा कि शीर्ष अदालत की संस्था ने पिछले साल 16 फरवरी को सुंदरेसन के नाम की सिफारिश की थी और 25 नवंबर, 2022 को सरकार से पुनर्विचार की मांग की थी।

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक बयान में कहा गया है, ‘‘जिस आधार पर सुंदरेसन की उम्मीदवारी पर पुनर्विचार की मांग की गई है, वह यह है कि उन्होंने सोशल मीडिया में कई मामलों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं, जो अदालतों के समक्ष चर्चा का विषय हैं।'' इसमें कहा गया है, ‘‘श्री सोमशेखर सुंदरेसन की उम्मीदवारी को लेकर आपत्ति पर विचार करने के बाद, कॉलेजियम का मत है कि उम्मीदवार के लिए सोशल मीडिया पर व्यक्त किये गये विचार, यह अनुमान लगाने के लिए कोई आधार प्रस्तुत नहीं करते हैं कि वह पक्षपाती हैं।''

इसमें कहा गया है कि सभी नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। बयान में कहा गया है, ‘‘एक उम्मीदवार द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति उसे एक संवैधानिक पद पर बने रहने के लिए तब तक अयोग्य नहीं बनाती है, जब तक कि उसके पास योग्यता और सत्यनिष्ठा है।'' इसमें कहा गया है कि कॉलेजियम का मानना है कि सुंदरेसन बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए जाने योग्य हैं।

बयान में कहा गया है, ‘‘इसलिए कॉलेजियम बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में श्री सोमशेखर सुंदरेसन की नियुक्ति के लिए 16 फरवरी, 2022 की अपनी सिफारिश को दोहराने का संकल्प लेता है।'' बयान में यह भी कहा गया है कि बंबई उच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने चार अक्टूबर, 2021 को सुंदरेसन की पदोन्नति की सिफारिश की थी। कॉलेजियम ने दूसरी बार दो अधिवक्ताओं अमितेश बनर्जी और साक्य सेन के नाम की सिफारिश कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए की है और कहा है कि सरकार इस प्रस्ताव को बार-बार वापस न करे।

अधिवक्ता बनर्जी सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश यू सी बनर्जी के बेटे हैं, जिन्होंने 2006 में उस आयोग की अध्यक्षता की थी जिसने 2002 में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड में किसी भी तरह की साजिश को खारिज कर दिया था। अधिवक्ताओं बनर्जी और सेन के नामों की सिफारिश 17 दिसंबर, 2018 को कलकत्ता उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा की गई थी और उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने 24 जुलाई, 2019 को इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया था।

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