Exclusive Interview: ऐसे बनीं बागपत की चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर 'शूटर दादी'

Edited By Updated: 02 Oct, 2019 04:41 PM

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यूपी (Uttar Pradesh) में बागपत (Bagpat) के जौहड़ी गांव से शुरू हुई शूटर दादी (Shooter Dadi) यानी दादी चंद्रो तोमर (Chandro Tomar) और प्रकाशी तोमर (Prakashi Tomar) की कहानी 25 अक्टूबर को बड़े पर्दे पर दस्तक देने वाली है...

नई दिल्ली। यूपी (Uttar Pradesh) में बागपत (Bagpat) के जौहड़ी गांव से शुरू हुई शूटर दादी (Shooter Dadi) यानी दादी चंद्रो तोमर (Chandro Tomar) और प्रकाशी तोमर (Prakashi Tomar) की कहानी 25 अक्टूबर को बड़े पर्दे पर दस्तक देने वाली है। इस फिल्म में दादी चंद्रो तोमर के रोल में नजर आएंगी भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) और दादी प्रकाशी तोमर के किरदार को निभाया है तापसी पन्नू ने (Taapsee Pannu)। इन दोनों ही महिलाओं की रियल लाइफ की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। फिल्म प्रमोशन के दौरान शूटर दादी ने पंजाब केसरी (Punjab Kesari)नवोदय टाइम्स (Navodaya Times)जगबाणी (Jagbani)/ हिंद समाचार (Hind Samachar) से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश।

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65 साल की उम्र में उठाई पिस्तौल
65 वर्ष की चंद्रो तोमर हाथों में पिस्तौल (Pistol) उठाने वाली दादी चंद्रो तोमर बताती हैं 1999 में पोती शेफाली (Shefali Tomar) ने शूटिंग सीखना शुरू किया। इसके लिए उसने जौहड़ी राइफल क्लब में एडमिशन लिया। यह क्लब लड़कों का था इसलिए शेफाली वहां अकेले जाने से डरती थी। उसे हौसला देने के लिए दादी चंद्रो उसके साथ गईं। वहां पहुंचने पर जब शेफाली पिस्तौल में छर्रे नहीं डाल पाई तो उसे सिखाने के लिए दादी चंद्रो ने उसमें छर्रे डाले, शूटिंग पोजिशन ली और लक्ष्य पर निशाना लगा दिया। उस वक्त उन्होंने एक के बाद दस लक्ष्य भेदे। शूटिंग में उसे 'बुल्सआई' कहते हैं यानी की 'सांड की आंख' (Saand Ki Aankh)।

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दादी के निशाने ने सबको चौंकाया
दादी चंद्रो के निशाने को देखकर वहां मौजूद हर कोई चौंक गया। तभी कोच फारूक पठान ने उन्हें शूटर बनने की सलाह दी। घर वालों की अनुमति न मिलने के डर से दादी चंद्रो इसके लिए राजी नहीं हुईं लेकिन फिर बच्चों ने उन्हें शूटर बनने की हिम्मत दी। यहां से शुरू हुआ दादी चंद्रो तोमर का शूटर दादी बनने का सफर।

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घर वालों से छुपकर करती थीं प्रैक्टिस
दादी चंद्रो ने घर वालों से छुपकर शूटिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू की। रोज सुबह चार बजे एक जग पानी लेकर वो खेतों की तरफ निकल जातीं, वहां प्रैक्टिस करतीं और फिर घर आतीं। हर वक्त उन्हें ये डर सताता रहता था कि कहीं कोई उन्हें पकड़ न ले। कुछ दिन के अंदर ही दादी चंद्रो का ये डर सच साबित हुआ और एक अखबार में तस्वीर छपने से सभी को उनके इस कदम के बारे में पता चल गया।

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दादी चंद्रो के नक्शेकदम पर निकलीं प्रकाशी तोमर
करीबन दो हफ्ते बाद दादी चंद्रो से प्रेरित होकर उनकी देवरानी प्रकाशी तोमर ने भी शूटिंग की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया और उनके नक्शेकदम पर चल पड़ीं। दादी प्रकाशी तोमर बताती हैं कि जब उन्होंने शूटिंग शुरू की तो लोगों ने उनका बहुत मजाक उड़ाया लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनीं। दोनों ही अपने लक्ष्य पर डटी रहीं और इस दौरान इन्होंने कई मेडल जीते और कई ट्रॉफी भी अपने नाम की।

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दुनिया ने दिया नया नाम 'शूटर दादी'
यही वजह है कि आज चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर को पूरी दुनिया प्यार से शूटर दादी बुलाती है। ये शूटर दादी की ही देन है कि कभी आटा चक्की के लिए मशहूर जौहड़ी गांव आज शूटिंग के लिए जाना जाता है जहां देश के अलग-अलग हिस्से से लोग शूटर बनने की ट्रेनिंग लेने आते हैं। इतना ही नहीं, इनकी रोचक कहानी को बॉलीवुड भी अब सिनेमाघरों में दिखाने वाला है। इस फिल्म की शूटिंग के लिए भूमि और तापसी ने ना सिर्फ जी-तोड़ मेहनत की बल्कि इन किरदारों में खुद को ढालने के लिए वो कई महीनों तक शूटर दादी के घर में ही रहीं।

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