Edited By Rohini Oberoi,Updated: 10 Dec, 2025 04:35 PM

भारत की डिजिटल दुनिया (Digital World) में इन दिनों इन्फ्लुएंसर क्रांति चल रही है। अब मोबाइल फोन सिर्फ बातचीत का माध्यम नहीं बल्कि करोड़ों की कमाई का सबसे बड़ा हथियार बन चुका है। रील्स, व्लॉग्स और क्रिएटिव कंटेंट (Creative Content) के इस दौर में आम...
नेशनल डेस्क। भारत की डिजिटल दुनिया (Digital World) में इन दिनों इन्फ्लुएंसर क्रांति चल रही है। अब मोबाइल फोन सिर्फ बातचीत का माध्यम नहीं बल्कि करोड़ों की कमाई का सबसे बड़ा हथियार बन चुका है। रील्स, व्लॉग्स और क्रिएटिव कंटेंट (Creative Content) के इस दौर में आम लोग रातों-रात स्टार बन रहे हैं। एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत का इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग (Influencer Marketing) मार्केट 10 हज़ार करोड़ रुपये के बड़े आंकड़े को पार कर चुका है।
बाज़ार का असली आकार अनुमान से तीन गुना बड़ा
इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग SaaS प्लेटफॉर्म क्लुगक्लुग (KlugKlug) की रिपोर्ट आने से पहले इस इंडस्ट्री का आकार सिर्फ 3000 से 4000 करोड़ रुपये बताया जा रहा था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हकीकत इससे कहीं ज़्यादा है। भारत में इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग पर 10,000 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा खर्च हो चुका है। इसका मतलब है कि बाज़ार पहले बताए गए अनुमान से तीन गुना बड़ा है।
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75% पैसा सीधे डील में खर्च
बाज़ार का सही आकलन न हो पाने का मुख्य कारण सीधी डीलिंग है। रिपोर्ट के अनुसार इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग पर खर्च होने वाला सिर्फ 25% पैसा ही एजेंसियों या ट्रैक किए जाने वाले सिस्टम से होकर गुज़रता है। बाकी 75% पैसा ब्रांड्स और इन्फ्लुएंसर्स के बीच सीधी डील में खर्च होता है जिसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं बन पाता। इसी वजह से अब तक इंडस्ट्री का असली आंकड़ा सामने नहीं आ पाता था।

माइक्रो और नैनो इन्फ्लुएंसर बन रहे असली पावरहाउस
अब यह धारणा बदल रही है कि सिर्फ बड़े इन्फ्लुएंसर ही ब्रांड्स को आकर्षित करते हैं। क्लुगक्लुग के विश्लेषण से पता चलता है कि असली गेम-चेंजर अब माइक्रो (Micro) और नैनो इन्फ्लुएंसर (Nano Influencers) हैं। ये छोटे लेकिन प्रभावशाली क्रिएटर्स ब्रांड्स को बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं (Consumers) तक पहुँचने में मदद कर रहे हैं।
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D2C ब्रांड्स बदल रहे खेल
100 से ज़्यादा डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्रांड्स हर साल 20 करोड़ रुपये से ज़्यादा सीधे अपनी ही कंपनी की क्रिएटर टीम (Creator Team) पर खर्च कर रहे हैं। इसका मतलब है कि कंपनियाँ अब बाहरी एजेंसियों पर निर्भर रहने के बजाय खुद ही वीडियो और कंटेंट बनवाकर प्रमोशन कर रही हैं। यह साफ दिखाता है कि मार्केटिंग का पुराना तरीका तेज़ी से बदल रहा है।
बार्टर और एआई का बढ़ता इस्तेमाल
कई ब्रांड्स अब पैसे का सीधा लेन-देन करने के बजाय बार्टर (Barter) के रूप में इन्फ्लुएंसर्स को अपने प्रोडक्ट्स मुफ्त में भेज देते हैं। इससे ब्रांड को कम लागत में बड़ा फायदा मिलता है। क्लुगक्लुग के सीईओ कल्याण कुमार के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और प्रिसिजन टारगेटिंग के चलते कंटेंट, कॉमर्स और कंज्यूमर इंटेंट अब एक साथ जुड़ गए हैं जिससे इंडस्ट्री में पॉजिटिव बदलाव आ रहे हैं।