Edited By Yaspal,Updated: 14 Nov, 2022 11:37 PM

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि वह जानते हैं कि उनसे काफी उम्मीदें हैं लेकिन वह यहां चमत्कार करने नहीं आए हैं
नई दिल्लीः भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि वह जानते हैं कि उनसे काफी उम्मीदें हैं लेकिन वह यहां चमत्कार करने नहीं आए हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में, वह अपने सहयोगियों को सर्वोच्च न्यायालय में देखेंगे और उनके अनुभव तथा ज्ञान से लाभ प्राप्त करेंगे, जिसका ‘‘पारंपरिक रूप से उपयोग'' नहीं किया गया है। सीजेआई ने कहा कि उनका मानना है कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश जो बार से आए हैं, वे अपने साथ ‘‘ताजगी'' लाते हैं और यह बार और बेंच का एक अनूठा संयोजन है जो शीर्ष अदालत में एक साथ आता है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा सीजेआई के रूप में नियुक्ति पर अभिनंदन के लिए आयोजित एक समारोह में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘तो, कुल मिलाकर, मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि मैं यहां चमत्कार करने नहीं आया हूं। मुझे पता है कि चुनौतियां अधिक हैं, शायद अपेक्षाएं भी अधिक हैं, और मैं आपके विश्वास की भावना का बहुत आभारी हूं, लेकिन मैं यहां चमत्कार करने के लिए नहीं हूं।''
सीजेआई ने कहा, ‘‘हर दिन मेरा आदर्श वाक्य है कि अगर यह मेरे जीवन का आखिरी दिन होता, तो क्या मैं दुनिया को एक बेहतर जगह के तौर पर छोड़ता। मैं हर दिन खुद से यही पूछता हूं।'' जस्टिस चंद्रचूड़ ने नौ नवंबर को 50वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला था और वह 10 नवंबर, 2024 तक इस पद पर रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘इसलिए, मैं अपने सहयोगियों के अनुभव का फायदा उठाऊंगा। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जो उच्च न्यायालयों से आते हैं, उनके साथ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और मुख्य न्यायाधीश के रूप में वर्षों का अनुभव है और उनका सामूहिक अनुभव तथा ज्ञान कुछ ऐसा है जिसे हमने सुप्रीम कोर्ट में पारंपरिक रूप से उपयोग नहीं किया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि मुझे इसे बदलना होगा और अपने सहयोगियों पर अधिक निर्भर रहना होगा, उनके अनुभव का उपयोग करना होगा तथा वह अनुभव संस्थान को मजबूत करने में योगदान देगा।''