Fake Medicine Alert: धड़ल्ले से बिकती हैं नकली दवाएं, ऐसे पता करें आप जो दवा खरीद रहे हैं असली है या नहीं

Edited By Updated: 28 Jul, 2025 10:59 AM

fake medicines difference between real medicine and fake medicine

आजकल बाजार में बीमारियों का इलाज ढूंढना जितना आसान हुआ है उतना ही मुश्किल हो गया है सही और असली दवा पहचानना। मेडिकल स्टोर पर लोग डॉक्टर की सलाह से दवाएं खरीदते हैं और उम्मीद करते हैं कि वे जल्द ठीक हो जाएंगे। लेकिन बहुत से लोगों को ये नहीं पता होता...

नेशनल डेस्क: आजकल बाजार में बीमारियों का इलाज ढूंढना जितना आसान हुआ है उतना ही मुश्किल हो गया है सही और असली दवा पहचानना। मेडिकल स्टोर पर लोग डॉक्टर की सलाह से दवाएं खरीदते हैं और उम्मीद करते हैं कि वे जल्द ठीक हो जाएंगे। लेकिन बहुत से लोगों को ये नहीं पता होता कि जिस दवा को वे भरोसे से खरीद रहे हैं, वो असली है या नकली। क्योंकि आज के समय में नकली दवाएं इतनी सफाई से बनाई जा रही हैं कि वे हूबहू असली जैसी दिखती हैं और वे धड़ल्ले से बिकती भी हैं। नतीजा ये होता है कि मरीज की सेहत सुधरने के बजाय और बिगड़ने लगती है। ऐसे में जरूरी है कि आप दवाएं खरीदते वक्त पूरी सतर्कता बरतें और यह जानें कि असली और नकली दवाओं में फर्क कैसे करें।

नकली दवाओं से क्या हो सकता है खतरा

नकली दवाएं हमारे शरीर पर गंभीर असर डाल सकती हैं। ये दवाएं बीमारी को ठीक करने के बजाय और ज्यादा बिगाड़ सकती हैं। कई बार इन दवाओं में जरूरी एक्टिव इंग्रीडिएंट ही नहीं होते या उनकी मात्रा कम होती है जिससे इलाज अधूरा रह जाता है। कुछ मामलों में नकोली दवाओं के कारण साइड इफेक्ट्स या एलर्जी तक हो सकती है जो मरीज की सेहत के लिए खतरा बन जाती है। इसलिए असली और नकली दवा के बीच फर्क समझना जरूरी हो जाता है।

पैकेजिंग से पहचानें असली और नकली दवा

दवा की पैकेजिंग को ध्यान से देखने से भी आप असली और नकली दवा की पहचान कर सकते हैं। असली दवा की पैकिंग ब्रांडेड होती है, जिस पर कंपनी का लोगो साफ और सही ढंग से प्रिंट होता है। मैन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट, बैच नंबर और एमआरपी साफ और पढ़ने योग्य होती है। वहीं नकली दवाओं की पैकिंग में अक्सर गड़बड़ होती है। जैसे लोगो थोड़ा टेढ़ा होता है, प्रिंटिंग हल्की या धुंधली होती है, जानकारी अधूरी होती है या बिल्कुल गायब रहती है। अगर आपको दवा की पैकिंग कुछ संदिग्ध लगती है तो उस दवा को न खरीदें और तुरंत किसी भरोसेमंद मेडिकल स्टोर से संपर्क करें।

क्यूआर कोड स्कैन कर के करें पुष्टि

आजकल असली दवाओं पर QR कोड या होलोग्राम होता है जिसे मोबाइल से स्कैन कर दवा की असलियत का पता लगाया जा सकता है। अपने मोबाइल फोन में स्कैनर ऐप या कैमरा खोलें और दवा के पैकेट पर बने QR कोड को स्कैन करें। स्कैन करने पर दवा की पूरी जानकारी जैसे कंपनी का नाम, मैन्युफैक्चरिंग डेट, बैच नंबर और अन्य डिटेल स्क्रीन पर दिखाई देगी। अगर स्कैन करने के बाद कोई जानकारी नहीं आती या कुछ गलत डिटेल सामने आती है तो समझ लीजिए कि दवा नकली है। असली दवा का QR कोड हमेशा एक्टिव होता है और तुरंत सही जानकारी देता है। नकली दवाओं पर या तो QR कोड होता ही नहीं या वो स्कैन करते ही फेल हो जाता है।

ये सावधानियां जरूर बरतें

  • हमेशा किसी भरोसेमंद और रजिस्टर्ड मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदें

  • डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन को समझें और दवा की ब्रांडिंग चेक करें

  • ओपन पैक या बिना सील वाली दवा न खरीदें

  • दवा खरीदने के बाद उसका बिल जरूर लें

  • QR कोड और पैकेजिंग की जांच करना न भूलें

  • शक होने पर दवा को तुरंत लोकल हेल्थ अथॉरिटी को दिखाएं

नकली दवाओं की बढ़ती चुनौती को समझें

भारत जैसे देश में जहां दवाओं की खपत बहुत ज्यादा है वहां नकली दवाओं का कारोबार एक गंभीर समस्या बन चुका है। सरकार और दवा कंपनियां मिलकर इस पर काम कर रही हैं लेकिन आम लोगों की जागरूकता भी बेहद जरूरी है। अगर हर ग्राहक थोड़ी सी सावधानी बरते तो नकली दवा बेचने वालों का कारोबार रुक सकता है।

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