Edited By Rohini Oberoi,Updated: 10 Dec, 2025 01:36 PM

मध्य प्रदेश की पुलिस व्यवस्था को हिला देने वाला एक सनसनीखेज घटनाक्रम सामने आया है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार मलहारगढ़ पुलिस स्टेशन जिसे हाल ही में देश के सर्वश्रेष्ठ पुलिस स्टेशनों में नौवां स्थान मिला था अब एक बड़े घोटाले के कारण...
नेशनल डेस्क। मध्य प्रदेश की पुलिस व्यवस्था को हिला देने वाला एक सनसनीखेज घटनाक्रम सामने आया है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार मलहारगढ़ पुलिस स्टेशन जिसे हाल ही में देश के सर्वश्रेष्ठ पुलिस स्टेशनों में नौवां स्थान मिला था अब एक बड़े घोटाले के कारण बदनाम हो गया है। उच्च न्यायालय (High Court) में विस्फोटक सबूतों (Explosive Evidence) का खुलासा हुआ जिसमें दिखाया गया कि उसी पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने एक निर्दोष छात्र को चलती बस से अगवा किया और उसे एक फर्जी ड्रग तस्करी मामले (Fake Drug Trafficking Case) में फंसा दिया।
बड़ी गिरफ्तारी का झूठा दावा
पुलिस ने जिसे मादक पदार्थों के मामले में बड़ी गिरफ्तारी बताया था वह अब सत्ता के चौंकाने वाले दुरुपयोग (Shocking Abuse of Power) के रूप में उजागर हो गया है। पीड़ित सोहन (18) जो मल्हारगढ़ निवासी और 12वीं कक्षा का मेधावी छात्र है को 29 अगस्त को सादे कपड़ों में आए पुलिसकर्मियों ने चलती बस से जबरन उतार लिया था। कुछ घंटों बाद, पुलिस ने घोषणा की कि उसे 2.7 किलोग्राम अफीम के साथ पकड़ा गया है और अगले ही दिन उसे जेल भेज दिया गया।
CCTV फुटेज से खुली पोल
सोहन के परिवार ने जब उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में अपील की तो सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल वीडियो और गवाहों के बयान कुछ और ही कहानी बयां कर रहे थे। सबूतों में न तो कोई ड्रग्स, न ही कोई पीछा और न ही कोई बरामदगी दिखाई गई केवल सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों के एक समूह ने एक बस को रोका छात्र को बाहर निकाला और उसके साथ गायब हो गए। वरिष्ठ अधिवक्ता हिमांशु ठाकुर ने बताया कि छात्र के खिलाफ मामला तब दर्ज किया गया जब वह पहले से ही अवैध हिरासत (Illegal Detention) में था।
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हाई कोर्ट में SP ने स्वीकार की गलती
मंगलवार की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने मंदसौर के पुलिस अधीक्षक (SP) विनोद कुमार मीणा की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की। एसपी मीणा को कोर्ट के सामने यह स्वीकार करना पड़ा कि सोहन को वास्तव में मलहारगढ़ पुलिस अधिकारियों ने बस से उठाया था और यह मामला मनगढ़ंत (Fabricated) था।
एसपी ने पुष्टि की कि प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) में दिखाई गई गिरफ्तारी वीडियो में कैद वास्तविक समय और स्थान से मेल नहीं खाती थी और जांच में कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि बस में चढ़ते हुए देखे गए जिन अधिकारियों को पुलिस ने पहले अस्वीकार कर दिया था वे मलहारगढ़ के ही पुलिसकर्मी थे जो ज़िला प्रशासन के पहले के बयानों के बिल्कुल विपरीत है।
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सज़ा और आगे की कार्रवाई
एसपी मीणा ने अदालत को बताया कि उन्होंने मल्हारगढ़ के छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है जिनमें छात्र को बस से घसीटकर उतारने वाले पुलिसकर्मी भी शामिल हैं और विभागीय जांच (Departmental Inquiry) के आदेश दिए हैं। उच्च न्यायालय ने अब इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। कानूनी विशेषज्ञों को इस क्रूर कृत्य के लिए सख्त कार्रवाई की उम्मीद है।
यह घटना उस पुलिस स्टेशन के लिए बड़ी शर्मिंदगी का कारण बनी है जिसने पिछले महीने ही राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की थी।