Edited By vasudha,Updated: 11 Dec, 2020 04:42 PM
नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसान किसी भी कीमत में पीछे हटने को तैयार नहीं है। सरकार द्वारा उन्हे मनाने में कोई भी कोशिश कामयाब होती दिखाई नहीं दे रही है। अब तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी जा पहुंचा है। भारतीय किसान यूनियन ने शक्रवार...
नेशनल डेस्क: नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसान किसी भी कीमत में पीछे हटने को तैयार नहीं है। सरकार द्वारा उन्हे मनाने में कोई भी कोशिश कामयाब होती दिखाई नहीं दे रही है। अब तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी जा पहुंचा है। भारतीय किसान यूनियन ने शक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तीनों ही कृषि कानूनों को चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
याचिका में कहा गया कि कृषि कानून से जुड़ी पुरानी याचिकाओं पर सुनवाई हो। याचिका में दावा किया कि नए कृषि कानून इस क्षेत्र को निजीकरण की ओर ढकेल देंगे। इसके अलावा किसान संघ द्वारा विरोध-प्रदर्शन को तेज करने और राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने वाले सभी राजमार्गों को जाम करने की भी चेतावनी दी गई है। गौरतलब है कि दिल्ली में प्रवेश करने से रोके जाने के बाद पिछले करीब दो सप्ताह से किसान सिंघू बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। वे नये कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रखने की मांग कर रहे हैं।
रेल पटरियां अवरुद्ध करने की दी चेतावनी
सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी गई, तो हम रेल पटरियां अवरुद्ध करेंगे। । रेल पटिरियां सिर्फ पंजाब और हरियाणा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में अवरुद्ध की जाएंगी।'' किसानों ने यह घोषणा ऐेसे वक्त की है, जब केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बातचीत जारी है और ऐसे में आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करना उचित नहीं है। उन्होंने किसान संघों से फिलहाल बातचीत करने को कहा है। तोमर ने किसान संघों के नेताओं से उन्हें भेजे गए प्रस्ताव के मसौदे पर विचार करने को कहा।
किसानों ने सरकार का ठुकराया प्रस्ताव
वहीं एक अन्य किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि केन्द्र ने स्वीकार किया है कि कानून व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं। अगर कृषि राज्य का विषय है तो, केन्द्र को उसपर कानून बनाने का अधिकार नहीं है।'' हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर प्रदर्शन करते हुए नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने बुधवार को कहा कि वह फसलों के लिए मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था को जारी रखने का लिखित आश्वासन देगी। हालांकि, किसान संघों ने प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि जबतक सरकार कानूनों को वापस लेने की उनकी मांग मान नहीं लेती, वे अपना आंदोलन तेज करेंगे।