Edited By Mahima,Updated: 07 May, 2024 10:08 AM
आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने जा रहे हैं। राज्य में इस बार सत्ता हासिल करने की जंग पिता की विरासत को संभालने के लिए परिवार के भीतर ही लड़ी जा रही है।
नेशनल डेस्क: आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने जा रहे हैं। राज्य में इस बार सत्ता हासिल करने की जंग पिता की विरासत को संभालने के लिए परिवार के भीतर ही लड़ी जा रही है। दरअसल प्रदेश की कडप्पा सीट से सीएम और वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने अपने चचेरे भाई वाई. एस. अविनाश रेड्डी को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने रेड्डी के सामने जगन मोहन की ही सगी बहन वाई. एस. शर्मिला को टिकट देकर मुकाबला रोचक बना दिया है। शर्मिला फिलहाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ इस घरेलू सीट पर मुकाबले को पारिवारिक विरासत और वर्चस्व की लड़ाई करार दे रहे हैं। इस सीट पर फिलहाल जगन मोहन रेड्डी के करीबी माने जाने वाले अविनाश भी सांसद हैं।
शर्मिला ने मार्च 2011 में जगन द्वारा स्थापित वाई.एस.आर.सी.पी. को राज्य में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में उभरने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। 2012 और 2013 के बीच जगन मोहन रेड्डी के 16 महीने के लिए जेल में रहने के दौरान पार्टी के पीछे मजबूती से खड़ी रहीं। जबकि मई 2019 में वाई.एस.आर.सी.पी. के सत्ता में आने के बाद उन्हें कथित तौर पर उपेक्षित किया गया था।
शर्मिला ने मीडिया को दिए बयान
आंध्र कांग्रेस प्रमुख का पद संभालने के तुरंत बाद एक मीडिया को दिए बयान में शर्मिला ने कहा था कि जब जगन जेल में थे, मैंने पूरे आंध्र प्रदेश में 3,200 किलोमीटर की पदयात्रा की। मैंने तेज धूप और बारिश का सामना करते हुए अपने घर और बच्चों को अकेले छोड़ दिया था। जब भी जरूरत पड़ी, मैं जगन अन्ना (भाई) की जीत के लिए काम करने के लिए उनके साथ खड़ी रही, लेकिन जिस दिन वह मुख्यमंत्री बने, वह बदल गए। यह साबित करने के लिए कि उन्होंने भी अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है, शर्मिला ने जुलाई 2022 में वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की स्थापना की और पूरे तेलंगाना में 3,800 किलोमीटर तक पैदल मार्च किया। लेकिन यह महसूस करने के बाद कि तेलंगाना में उनकी कोई भूमिका नहीं है, उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया।
तीसरी बार लड़ेंगे चुुनाव
उधर मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी तीसरी बार पुलिवेंदुला से चुनाव लड़ रहे हैं। चुनावी भूमि में युद्धरत भाई-बहनों के पिता दिवंगत वाई.एस. राजशेखर रेड्डी (वाईएसआर) ने 1978, 1983 और 1985 में तीन बार पुलिवेंदुला विधानसभा सीट जीती थी। उनके भाई वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी ने 1989 और 1994 में सीट जीती। वाईएसआर के चाचा वाई.एस. 1991 के उपचुनाव के बाद पुरुषोत्तम रेड्डी भी कुछ समय के लिए इस सीट पर रहे। वाईएसआर ने 1999, 2004 और 2009 में एक बार फिर सीट जीती, 2009 में अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने के छह महीने बाद एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनकी असामयिक मृत्यु हो गई थी।