Edited By Yaspal,Updated: 24 Sep, 2021 12:25 AM
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि राजनीति सत्ता हासिल करने से कहीं अधिक एक बहुआयामी गतिविधि है क्योंकि इसके जरिए विकास पर ध्यान केंद्रित कर समाज और देश का निर्माण करने का कार्य किया जाता है। गडकरी ने कहा...
नेशनल डेस्कः केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि राजनीति सत्ता हासिल करने से कहीं अधिक एक बहुआयामी गतिविधि है क्योंकि इसके जरिए विकास पर ध्यान केंद्रित कर समाज और देश का निर्माण करने का कार्य किया जाता है। गडकरी ने कहा कि जो राजनेता मुख्यमंत्री अथवा मंत्री पद हासिल करने की लालसा में पार्टियां बदलते हैं, जनता उन्हें लंबे समय तक याद नहीं रखती। उन्होंने राजनेताओं के जन्मदिन पर बड़े-बड़े होर्डिंग लगाने और इस अवसर को मनाने के लिए अखबारों में विज्ञापन जारी करने की प्रवृत्ति की निंदा करते हुए कहा कि इससे कोई जनमानस का सच्चा नेता नहीं बन जाएगा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित 11वीं भारतीय छात्र संसद (छात्र संसद) में 'राजनीति सामाजिक-आर्थिक सुधारों का एक साधन है' विषय पर संबोधन के दौरान यह बात कही। गडकरी ने कहा, “राजनीति को सत्ता करण (सत्ता की राजनीति) के रूप में माना जाता है, लेकिन यह राजनीति का सही अर्थ नहीं है। सत्ता की राजनीति करना राजनीति की विभिन्न गतिविधियों में से एक है।
राजनीति का सही अर्थ राष्ट्र करण (राष्ट्र निर्माण की राजनीति), समाज करण (सामाजिक राजनीति), विकास करण (विकास की राजनीति), धर्म करण (आध्यात्मिक खोज), अर्थ करण (आर्थिक समृद्धि) और सत्ता की राजनीति से कहीं अधिक 'लोकनीति' (सार्वजनिक नीति) को महत्व देना है।” भाजपा नेता ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि सत्ता हासिल करने के लिए की जाने वाली राजनीति को ही वास्तविक राजनीति माना जाता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “राजनीति की इस परिभाषा को बदलने की जरूरत है और यह ऐसे छात्रों की मदद से संभव है जोकि राजनीति में शामिल होना चाहते हैं और जिनका उद्देश्य अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना नहीं बल्कि समाज के वंचित तबके के लोगों की सेवा करना है, गरीबी, बेरोजगारी, भूख मिटाने की दिशा में काम करना है और भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाना है।”
गडकरी ने कहा, “आज छत्रपति शिवाजी महाराज, संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर महाराज, शाहू महाराज, वीर सावरकर, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी जैसे महान लोगों को याद किया जाता है, लेकिन वे नेता जो एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाते हैं और वहां मुख्यमंत्री और मंत्री बनते हैं। जनता उन्हें लंबे समय तक याद नहीं रखती।”