भारत का बड़ा फैसला, काबुल में फिर से खुलने जा रहा भारतीय दूतावास

Edited By Updated: 10 Oct, 2025 01:46 PM

india s big move indian embassy to reopen in kabul

तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान के विदेश मंत्री इस समय एक सप्ताह की भारत यात्रा पर हैं। शुक्रवार, 10 अक्टूबर को उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की, जिसके बाद भारत ने एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घोषणा की। जयशंकर ने कहा कि अब काबुल में मौजूद...

नेशनल डेस्क: तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान के विदेश मंत्री इस समय एक सप्ताह की भारत यात्रा पर हैं। शुक्रवार, 10 अक्टूबर को उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की, जिसके बाद भारत ने एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घोषणा की। जयशंकर ने कहा कि अब काबुल में मौजूद टेक्निकल मिशन को भारतीय दूतावास का दर्जा दे दिया जाएगा।

दरअसल, 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद भारत ने सुरक्षा कारणों से काबुल स्थित दूतावास बंद कर दिया था। इसके बाद व्यापार, चिकित्सा और मानवीय सहायता के लिए एक छोटा तकनीकी मिशन स्थापित किया गया था। अब भारत ने इसे पूर्ण दूतावास के रूप में बहाल कर दिया है।

जयशंकर बोले- “आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ना होगा”

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तालिबान के विदेश मंत्री और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए कहा कि यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा देने वाला कदम है. उन्होंने अफगानिस्तान के विकास और स्थिरता के प्रति भारत की लगातार प्रतिबद्धता को दोहराया।

जयशंकर ने कहा, “भारत और अफगानिस्तान विकास और समृद्धि के प्रति समान रूप से समर्पित हैं, लेकिन यह प्रतिबद्धता सीमा पार आतंकवाद के साझा खतरे से प्रभावित होती है. हमें इसके सभी रूपों से निपटने के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे. हम भारत की सुरक्षा चिंताओं को समझने के लिए अफगान पक्ष की सराहना करते हैं।” उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान द्वारा जताई गई एकजुटता को “उल्लेखनीय” बताया।

क्रिकेट ने भी जोड़ी दिलों की डोर

जयशंकर ने मुलाकात के दौरान खेल के जरिए दोनों देशों के जुड़ाव की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान में क्रिकेट प्रतिभा का उदय प्रभावशाली रहा है। भारत अफगान क्रिकेट को हर संभव सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।”

“भारत अफगान संप्रभुता के साथ खड़ा रहेगा”

बैठक के अंत में जयशंकर ने कहा कि भारत, अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. उन्होंने घोषणा की- “काबुल में भारत के तकनीकी मिशन को अब भारतीय दूतावास का दर्जा दिया जा रहा है। यह निर्णय दोनों देशों के गहरे सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”

क्यों अहम है तालिबान विदेश मंत्री की यह यात्रा?

भारत भले ही अभी तक तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता नहीं देता, लेकिन दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है। मुत्ताकी की यह यात्रा नई दिल्ली और काबुल के बीच भरोसे की नई कड़ी मानी जा रही है।

हाल ही में भारत ने रूस, चीन और सात अन्य देशों के साथ मिलकर अफगानिस्तान में किसी भी विदेशी सैन्य ढांचे की तैनाती का विरोध किया था। इन देशों ने संयुक्त रूप से कहा कि वे अफगानिस्तान को क्षेत्रीय कनेक्टिविटी प्रणाली से सक्रिय रूप से जोड़ने का समर्थन करते हैं।

भारत लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए। इसी वर्ष मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद जयशंकर और मुत्ताकी के बीच फोन पर हुई बातचीत में तालिबान ने पहलगाम हमले की निंदा की थी. जनवरी में, तालिबान शासन ने भारत को “महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति” करार दिया था।

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