Edited By Anu Malhotra,Updated: 17 Dec, 2025 10:59 AM

भारत का इंश्योरेंस मार्केट एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंच गया है। सरकार ने देश में इंश्योरेंस कंपनियों में 100% विदेशी निवेश (FDI) की मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश किए गए ‘सबका बीमा, सबकी रक्षा’ नामक इंश्योरेंस संशोधन...
नेशनल डेस्क: भारत का इंश्योरेंस मार्केट एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंच गया है। सरकार ने देश में इंश्योरेंस कंपनियों में 100% विदेशी निवेश (FDI) की मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश किए गए ‘सबका बीमा, सबकी रक्षा’ नामक इंश्योरेंस संशोधन बिल 2025 के माध्यम से यह बदलाव लागू किया। इस फैसले का असर सिर्फ कानून या पॉलिसी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आम ग्राहकों के लिए प्रीमियम, पॉलिसी विकल्प और क्लेम प्रक्रिया में भी बदलाव आने की संभावना है।
विदेशी कंपनियों के आने से बढ़ेगा कॉम्पिटिशन
अब अंतरराष्ट्रीय इंश्योरेंस कंपनियां भारत में पूरी तरह स्वतंत्र रूप से कारोबार कर सकेंगी। इसका मतलब है नए प्लेयर्स का प्रवेश आसान होगा और मौजूदा कंपनियों को ग्राहकों को बेहतर प्रोडक्ट और सर्विस देने के लिए अधिक प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे ग्राहकों को अधिक विकल्प, बेहतर कवरेज और आधुनिक सुविधाएं मिलने की संभावना है।
प्रीमियम में राहत की उम्मीद
जितनी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, कंपनियां ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए प्रीमियम को किफायती रखने की कोशिश करेंगी। साथ ही, वैश्विक अनुभव और तकनीकी समाधान आने से रिस्क मैनेजमेंट और बेहतर होगा। इसका मतलब है कि लंबी अवधि में प्रीमियम संरचना और भी संतुलित और ग्राहकों के अनुकूल हो सकती है।
Claim Process होगा तेज और पारदर्शी
विदेशी कंपनियों की मजबूत पूंजी और उन्नत प्रोसेस के चलते क्लेम सेटलमेंट तेज और डिजिटल होगा। इससे ग्राहकों को लंबे इंतजार और बार-बार कागजी कार्रवाई की झंझट से राहत मिल सकेगी। डिजिटल प्लेटफॉर्म की मदद से छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों तक बीमा पहुंचाने में भी तेजी आएगी। इस कदम से भारत में इंश्योरेंस सेक्टर की Quality, Accessibility और Transparency बढ़ेगी, जो 'इंश्योरेंस फॉर ऑल 2047' के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा।